Karnataka News: साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. तमाम जागरुकता अभियान के बावजूद लोग जालसाजों और घोटालेबाजों के जाल में फंस जाते हैं और अपनी मेहनत की गाड़ी कमाई को लुटा देते हैं. ऐसा ही एक हैरान कर देने वाला मामला कर्नाटक से सामने आया है. जहां घोटालेबाजों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप के नाम का इस्तेमाल कर डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों को अपनी शिकार बनाया है.
जानें क्या है पूरा मामले?
दरअसल, कर्नाटक के अलग-अलग इलाकों में 150 से ज्यादा लोगों से साइबर अपराधियों ने एक करोड़ से ज्यादा रुपये ठग लिए. अब सभी पीड़ित अपना पैसा वापस पाने की उम्मीद में पुलिस के पास मदद के लिए पहुंचे हैं. ठगों ने सभी लोगों को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नाम का इस्तेमाल कर उनसे ठगी कर ली.
ट्रंप के नाम का ऐप किया इस्तेमाल
जानकारी के मुताबिक, साइबर अपराधियों ने कथित तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के नाम पर एक ऐप का इस्तेमाल करके बेंगलुरु, तुमकुरु से लेकर मंगलुरु और हावेरी जैसे शहरों में लोगों को ठगा है. इन साइबर अपराधियों की गतिविधियों के बारे में राज्य के कई पुलिस थानों में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं. जालसाजों ने सोशल मीडिया पोर्टल पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) टूल का उपयोग करके बनाए गए डोनाल्ड ट्रम्प के एक वीडियो को प्रसारित किया, जिससे लोगों को यह विश्वास हो गया कि पूरा मार्केटिंग अभियान वैध था.
लेकिन जब पीड़ितों ने वीडियो के साथ दिए गए नंबर पर कॉल किया, तो जालसाजों ने उन्हें अपने जाल में फंसा लिया. अपने निवेश के लिए त्वरित और आकर्षक रिटर्न का वादा करके, पीड़ित जालसाजों को भुगतान करते रहे.
हावेरी साइबर क्राइम इकोनॉमिक्स एंड नारकोटिक्स (CEN) इंस्पेक्टर शिवशंकर आर गनाचारी ने कहा, "धोखेबाजों के जाल में फंसे पीड़ितों को उनके निवेश के लिए भारी इनाम और घर से काम करने के अवसर देने का वादा किया गया था. अकेले हावेरी में ही 15 से ज़्यादा ऐसे लोग ठगे गए हैं."
बता दें कि साइबर अपराधियों ने जो ऐप बनाए थे, उनमें से एक का नाम 'ट्रम्प होटल रेंटल' था, जिसे संभावित पीड़ितों को भेजा जाता था. इन ऐप को इंस्टॉल करने पर उन्हें वादा किया जाता था कि उनका निवेश दोगुना हो जाएगा.
इसी प्रकार की ठगी का शिकार हुए एक शख्स ने बताया कि, "हमें अपना खाता खोलने के लिए 1,500 रुपये देने को कहा गया और कंपनियों की प्रोफ़ाइल लिखने को कहा गया. ऐसा हर काम पूरा करने पर हमारे डैशबोर्ड पर कथित तौर पर हमारी कमाई में इज़ाफा होता था. असल में, मैंने 1 लाख रुपये से ज़्यादा गंवा दिए."
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