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जयपुर में 2 कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल सफल, SMS में चल रहा इलाज

जयपुर में अब तक 10 सुपर स्प्रेडर पॉजिटिव मरीज हैं. इनमें से 8 सब्जी वाले औऱ 2 दुकानदार शामिल हैं.

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Sushil Kumar
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प्रतीकात्मक फोटो( Photo Credit : फाइल फोटो)

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जयपुर में 2 कोरोना मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therepy) का ट्रायल सफल हुआ है. सवाई मान सिंह अस्पताल में दोनों मरीजों का इलाज चल रहा है. दोनों मरीजों की कोरोना (Corona Virus) से हालत गंभीर हो गई थी. प्लाज्मा थेरेपी से दोनों मरीजों का इलाज किया गया है. ट्रायल भी सफल रहा. जयपुर में अब तक 10 सुपर स्प्रेडर पॉजिटिव मरीज हैं. इनमें से 8 सब्जी वाले औऱ 2 दुकानदार शामिल हैं. प्लाज्मा थेरेपी गंभीर कोरोना मरीजों के लिए वरदान बनकर सामने आई है. इससे मरीज ठीक हो रहे हैं. जो मरीज वेंटिलेटर पर चले गए हैं. उनको इस थेरेपी से ठीक किया जा रहा है. कई जगह इस थेरेपी का इस्तेमाल किया जा चुका है.

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प्लाज्मा थेरेपी करने के लिए सबसे पहले केंद्र सरकार से मंजूरी चाहिए होगी

दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में भी इसका प्रयोग किया गया था. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने भी इस थेरेपी को करने के लिए अनुमति दी थी. दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करके कोरोना वायरस के चार मरीजों का इलाज किया गया था. जिसके बाद दो मरीजों की स्थिति में काफी सुधार हुआ था. डॉक्टर स्वाति महेश्वरी ने बताया कि आखिर इस प्लाज्मा थेरेपी से कैसे कोरोना को हराया जा सकता है और आखिर यह है क्या. प्लाज्मा थेरेपी करने के लिए सबसे पहले केंद्र सरकार से मंजूरी चाहिए होगी. वहीं प्लाज्मा थेरेपी करने के लिए उन लोगों का प्लाज्मा चाहिए होगा जो कोरोना को हरा चुके हैं.

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100 साल पहले स्पैनिश फ्लू में भी किया गया था

डॉ स्वाति महेश्वरी ने बताया कि प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल 100 साल पहले स्पैनिश फ्लू में भी किया गया था. इबोला जैसी बीमारियों में भी प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया गया था. इस थेरेपी में कोरोना बीमारी से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर से खून के जरिए एंटीबॉडीज निकाली जाती हैं. यह एक पतला सा पीला तरल होता है जिसे प्लाज्मा कहा जाता है. इसके बाद उन मरीजों को यह दिया जाता है जो रोग से गंभीर रूप से बीमार हैं. ऐसा देखा गया है कि जब बाहर से रोगी के शरीर में एंटीबॉडीज डाली जाती हैं तो उसके अच्छे परिणाम मिलते हैं.

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प्लाज्मा देनें से न डरें लोग

इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर साइंस के डायरेक्टर एसके सरीन ने एक मीडिया संस्थान को दिए अपने साक्षात्कार में बताया कि लोग प्लाज्मा देने से डर रहे हैं. तो इसमें डरने की जरूरत नहीं है. यह वक्त देशभक्ति दिखाने का है. जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं वो बिना डरे आगे आएं और प्लाज्मा डोनेट करें. प्लाज्मा ब्लड डोनेशन की तरह नहीं है. जिसमें आपको तीन महीने का इंतजार करना होगा. आप चाहें तो 10 दिन बाद फिर से प्लाज्मा दे सकते हैं. इस थेरेपी में सिर्फ प्लाज्मा लिया जाएगा और कुछ नहीं.

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