सलमान खुर्शीद ने राजस्थान संकट को इस तरीके से सुलझाने की वकालत की, पायलट से तालमेल के पक्ष में...
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने मंगलवार को राजस्थान संकट से निपटने के लिए एक सम्मानजनक सूत्र (फार्मूला) अपनाने की वकालत की.
बेंगलुरु:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने मंगलवार को राजस्थान संकट से निपटने के लिए एक सम्मानजनक सूत्र (फार्मूला) अपनाने की वकालत की. साथ ही वह सचिन पायलट के साथ तालमेल बिठाने के भी पक्ष में दिखाई दिए, जिन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत कर दी है. कांग्रेस के नेता होने के नाते और उनके करीबी मित्र रहे दिवंगत कांग्रेस नेता राजेश पायलट के पुत्र को बचपन से ही बहुत अच्छे से जानने वाले खुर्शीद ने कहा कि वह राजस्थान में जारी घटनाक्रम से काफी निराश हैं. पायलट को पार्टी में वापस लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य के किसी भी नेता को जोकि पार्टी में वापस आना चाहता है उसकी वापसी के प्रयास करने चाहिए.
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पूर्व केंद्रीय मंत्री सलामन खुर्शीद ने पीटीआई-भाषा से एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे लगता है कि कांग्रेस को विघटित नहीं होना चाहिए, बिखरना नहीं चाहिए. एक सीमा के अंदर कोई भी नेतृत्व विविधता, महत्वाकांक्षा आदि को समायोजित कर सकता है, लेकिन यह दो-तरफा चीज है. अगर लोग खुद पर विचार करते हैं तो मुझे लगता है कि हमें पार्टी को एकजुट रखने की कोशिश करनी चाहिए.
उन्होंने कहा, कोई भी जोकि जाने की इच्छा रखता है, अगर हम उन्हें ऐसा नहीं करने को राजी कर सकें तो यह एक समझदारी भरी बात हो सकती है लेकिन तब इसके लिए कोई सूत्र नहीं है. यह प्रत्येक मामले के आधार पर होता है कि आप कुछ कर सकते हैं. खुर्शीद ने कहा, मुझे इसके (राजस्थान संकट) बारे में तत्कालिक परिस्थितियों की जानकारी नहीं है. अगर सम्मान के साथ कुछ किया जा सकता है तो कोई भी इसके खिलाफ क्यों होगा?. राजस्थान में जारी राजनीतिक घमासान के बीच पिछले सप्ताह सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. उनके साथ ही 18 बागी विधायकों को भी विधानसभा अध्यक्ष ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिसके खिलाफ पायलट खेमा अदालत की शरण में पहुंचा है. यह राजनीतिक उठापटक फिलहाल जारी है.
कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के चुनाव आयोजित करने के सवाल पर कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि सीडब्ल्यूसी के लिए चुनाव कराना उतना जरूरी नहीं था, जितना पार्टी की विचारधारा को बरकरार रखने में योगदान जरूरी था. उन्होंने कहा, बेशक, चुनाव होने चाहिए लेकिन मेरे लिए यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है क्योकि हम सभी पार्टी की विचारधारा को बनाए रखने में योगदान दे रहे हैं.
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वहीं, खुर्शीद ने हैरानी जताया कि अन्य दलों में नेतृत्व के चुनाव को लेकर सवाल क्यों नहीं उठाया जाता? साथ ही कहा कि वह 'पूरी तरह आश्वस्त नहीं' थे कि क्या भाजपा में चुना हुआ नेतृत्व है? उन्होंने दावा किया कि अमित शाह और उनके बाद जेपी नड्डा को भी पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और उन्हें चुना नहीं गया. खुर्शीद ने सवाल किया कि कब नड्डा को चुना गया? उन्हें नियुक्त किया गया. कब अमित शाह को चुना गया? उन्हें नियुक्त किया गया.
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