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सचिन पायलट को न मिली विधानसभा में बैठने को सीट, गैलरी में लगी कुर्सी

सचिन पायलट सब कुछ भुलाकर भले ही कांग्रेस के साथ लौट आए हैं, मगर विधानसभा में आज उनके साथ जो हुआ है, उससे जरूर राजनीतिक बखेड़ा खड़ा हो सकता है.

Updated on: 14 Aug 2020, 03:38 PM

जयपुर:

सचिन पायलट सब कुछ भुलाकर भले ही कांग्रेस के साथ लौट आए हैं, मगर विधानसभा में आज उनके साथ जो हुआ है, उससे जरूर राजनीतिक बखेड़ा खड़ा हो सकता है. सचिन पायलट गुट के कांग्रेस में मिलन के बाद आज विधानसभा का अहम सत्र शुरू हो चुका है. लेकिन विधानसभा के अंदर सूबे के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को सीट न मिल सकी. लिहाजा उन्हें गैलरी में अलग से कुर्सी लगाकर बैठाया गया, जो विवाद की जड़ बन सकती है.

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दरअसल, हुआ यूं कि विधानसभा में सचिन पायलट की सीट को बदल दिया गया है. जब वह उपमुख्यमंत्री पद पर थे, तो उनकी सीट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बगल में थी. लेकिन बगावती रुख दिखाने के बाद कांग्रेस ने उनसे सभी पदों को छीन लिया. अब सचिन पायलट को विधानसभा में निर्दलीय विधायकों के साथ बैठाया गया है. सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के लिए पीछे गैलरी में कुर्सी पर लगाई गई.

इसके बाद ऐसी भी चर्चाएं होने लगी हैं कि यह सब जानबूझकर किया गया है. एक सोची-समझी रणनीति के तहत ही सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को अलग-थलग किया गया. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के बगल वाली सीट पर सचिन पायलट की बैठने की व्यवस्था की गई. इसके अलावा पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा की सीट को भी बदल दिया गया. जबकि मंत्री शांति कुमार धारीवाल को अशोक गहलोत के बगल वाली सीट मिली है.

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हालांकि इस पर सचिन पायलट ने कहा, 'मैं आज सदन आया तो देखा कि मेरी सीट पीछे लगी हुई है. मैं आखिरी कतार में बैठा हुआ हूं.' पायलट ने कहा, 'मैं राजस्थान से आता हूं, जो कि पाकिस्तान बॉर्डर पर है. सरहद पर सबसे मजबूत सिपाही तैनात किया जाता है. मैं जब तक यहां बैठा हूं, सरकार सुरक्षित है. इस सरहद पर कितनी भी गोलीबारी हो कवच और ढाल बनकर रहूंगा. सरहद पर सबसे मजबूत योद्धा भेजा जाता है.' उन्होंने कहा, 'जिस डॉक्टर को नब्ज दिखाना था, जहां नब्ज दबानी थी, वहां दिखा दिया. अब गदा और कवच लेकर सरकार को सुरक्षित रखेंगे.'

उल्लेखनीय है कि पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद लगभग एक महीने बाद जयपुर लौटे पायलट गुरुवार को ही मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री गहलोत से मिले थे. उसके बाद वह अन्य 18 बागी विधायकों के साथ विधायक दल की बैठक में शामिल हुए. आपको यह भी बता दें कि राज्य की 200 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक हैं जबकि भाजपा के पास 72 विधायक है.