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बीजेपी के एक तीर से दो निशाने, गहलोत ही नहीं अपने विधायकों का भी 'फ्लोर टेस्ट'

एक महीने से अधिक लम्बी खींचतान के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच भले ही सबकुछ ठीक हो गया हो लेकिन इनकी 'दोस्ती ' की असल परीक्षा आज है.

Updated on: 14 Aug 2020, 08:56 AM

जयपुर:

राजस्थान (Rajasthan) में आज से विधानसभा का सत्र शुरू हो रहा है. इससे पहले सभी राजनीतिक दलों ने अपने सियासी पासे फेंकने शुरू कर दिए है. एक महीने से अधिक लम्बी खींचतान के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok gehlot) और सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच भले ही सबकुछ ठीक हो गया हो लेकिन इनकी 'दोस्ती ' की असल परीक्षा आज है. दूसरी तरफ बीजेपी ने भी अविश्वास प्रस्ताव के बहाने एक तीर से दो निशाने लगा दिए हैं. इस बहाने एक तरफ गहलोत सरकार का फ्लोर टेस्ट होगा तो दूसरी तरफ बीजेपी अपने विधायकों के विश्वास की भी परीक्षा करने में सफल होगी.

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दरअसल फ्लोर टेस्ट के बहाने अब बीजेपी (BJP) खुद अपने ही विधायकों की वफादारी (Loyalty) परखेगी. बीजेपी पहले अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) लाने से साफ इनकार कर रही थी, लेकिन गुरुवार को अचानक पार्टी विधायक दल की बैठक में अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने का फैसला लिया गया. दरअसल खबरें आ रही है कि कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के अंदर भी विधायक दो धड़ों में बंटे हुए हैं. बीजेपी नेतृत्व ने अपनी पार्टी के विधायकों को बाड़ेबंदी के लिए बुलाया था. इस पर कई विधायकों ने ना-नुकर की तो संदेह गहरा गया था कि बीजेपी के कुछ नेता सरकार गिराने के पक्ष में नहीं हैं. यहां तक कि बीजेपी की सहयोगी पार्टी आरएलपी के सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने तो यहां तक कह दिया था कि वसुंधरा राजे गहलोत सरकार को नहीं गिराना चाहती. उसके बाद बवाल मच गया था.

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101 नहीं 125 विधायकों के वोट से होगी गहलोत की असली जीत
राजस्थान में पिछले एक महीने से दो धड़ों में बंटी कांग्रेस फिर से एक साथ खड़ी नजर आ रही है. शुक्रवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के दौरान सीएम गहलोत की असल जीत सदन में 101 विधायकों के वोट से बहुमत परीक्षण पास करने से नहीं बल्कि 125 विधायकों के वोट हासिल करके अपनी सियासी ताकत दिखाने से होगी. राजस्थान विधानसभा में कुल संख्या 200 है. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने 100 सीटें जीतीं. इसके बाद एक सीट उपचुनाव में जीती और फिर बसपा के छह विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो गए. इस लिहाज से कांग्रेस की मौजूदा संख्या 107 हो गई है. वहीं, बीजेपी के 72 और तीन उसके सहयोगी आरएलपी के विधायक हैं. इसके अलावा 13 निर्दलीय, दो बीटीपी, 2 सीपीएम और एक विधायक आरएलडी का है.

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अशोक गहलोत की विधानसभा सत्र में फ्लोर टेस्ट के दौरान अब असल परीक्षा बहुमत पास करने की नहीं बल्कि 125 या उससे ज्यादा विधायकों के वोट हासिल करके होगी. बीजेपी और उसके सहयोगी आरएलपी के तीन विधायक बहुमत परीक्षण के दौरान गहलोत सरकार के खिलाफ वोट करेंगे. बसपा के व्हिप के बाद भी गहलोत अगर पायलट खेमे के विधायकों के साथ-साथ सभी निर्दलीय और अन्य विधायकों के साथ 125 का समर्थन जुटाने में कामयाब रहते हैं तभी जाकर वो असल राजनीतिक जादूगर कहलाए जाएंगे.