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राजस्थान संकट: राज्‍यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की दी अनुमति, लेकिन माननी होंगी ये शर्तें

राजस्थान में सियासी रसूख की लड़ाई सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के हाथों से निकलकर अब राज्यपाल, विधानसभा स्पीकर और अदालत तक पहुंच चुकी है.

Updated on: 27 Jul 2020, 05:42 PM

नई दिल्‍ली:

राजस्थान में सियासी रसूख की लड़ाई सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के हाथों से निकलकर अब राज्यपाल, विधानसभा स्पीकर और अदालत तक पहुंच चुकी है. इस बीच राजस्‍थान के राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) ने राजस्थान सरकार को सशर्त विधानसभा सत्र बुलाने की मंजूरी दे दी है. राज्यपाल कलराज मिश्रा ने अपने निर्देश में कहा- वर्तमान परिस्थितियों में सरकार 21 दिन की समयसीमा में सत्र आहूत करे, जिससे विधायकों को कोरोना वायरस संक्रमण के चलते विधानसभा में आने में कोई दिक्कत न हो. साथ ही उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य होगा.

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ये माननी होंगी ये शर्तें

राज्यपाल कलराज मिश्रा ने राजस्थान सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने की मंजूरी दे दी है, लेकिन उसके सामने कई शर्तें रख दी हैं. विधानसभा सत्र 21 दिन की समयसीमा में आहुत करने के अलावा सोशल डिस्‍टेंसिंग का ध्‍यान रखना जरूरी है.

साथ ही राज्‍यपाल ने गहलोत सरकार से पूछा कि विधानसभा सत्र के दौरान किस प्रकार सोशल डिस्‍टेंसिंग का पालन किया जाएगा. क्‍या ऐसी व्‍यवस्‍था है, जिसमें 200 विधायकों के साथ 1000 से अधिक अफसरों और कर्मचारियों को एकत्रित करने पर कोरोना के संक्रमण का कोई खतरा न हो. किसी को अगर कोरोना हुआ तो उसे कैसे रोका जाएगा.

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उन्होंने आगे कहा कि राजभवन में बहुमत परीक्षण के दौरान लाइव प्रसारण भी करना जरूरी है. बता दें कि 31 जुलाई से राजस्थान सरकार ने सत्र को बुलाने की अनुमति मांगी है. साथ ही राजस्थान सरकार आज राज्यपाल को आपति पर अपना जवाब भी पेश करेगी.

राज्यपाल मिश्र ने सत्र बुलाने का संशोधित प्रस्ताव सरकार को लौटाया

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव कुछ 'बिंदुओं' के साथ सरकार को वापस भेजा था. उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है. इसके साथ ही राजभवन की ओर से स्पष्ट किया गया है कि राजभवन की विधानसभा सत्र नहीं बुलाने की कोई भी मंशा नहीं है. राजभवन ने जो तीन बिंदु उठाए हैं उनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए.

राजभवन सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने की राज्य सरकार की संशोधित पत्रावली को तीन बिंदुओं पर कार्यवाही कर पुन: उन्हें भिजवाने के निर्देश के साथ संसदीय कार्य विभाग को भेजी है. इससे पहले शुक्रवार को राज्यपाल ने सरकार के प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं पर कार्यवाही के निर्देश के साथ लौटाया था. सूत्रों ने बताया कि राजभवन ने तीन बिंदुओं पर कार्यवाही किए जाने का समर्थन देते हुए पत्रावली पुन: प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं.

इनमें पहला बिंदु यह है कि विधानसभा सत्र 21 दिन का स्पष्ट नोटिस देकर बुलाया जाए जिससे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत प्राप्त मौलिक अधिकारों की मूल भावना के अंतर्गत सभी को समान अवसर सुनिश्चित हो सके. राजभवन की ओर से जारी एक बयान के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने कहा है कि विधानसभा सत्र संवैधानिक प्रावधानों के अनुकूल आहूत होना आवश्यक है.

राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 174 के अंतर्गत तीन परामर्श देते हुए विधानसभा का सत्र आहूत किए जाने हेतु कार्यवाही किए जाने के निर्देश राज्य सरकार को दिए हैं. इसमें कहा गया कि विधानसभा सत्र न बुलाने की कोई भी मंशा राज राजभवन की नहीं है. इसमें कहा गया है कि प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में राज्य सरकार के बयान से यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है, परंतु सत्र बुलाने के प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं है. यदि राज्य सरकार विश्वास मत हासिल करना चाहती है तो यह अल्पावधि में सत्र बुलाए जाने का युक्तिसंगत आधार बन सकता है.