राजस्थान में राज्यपाल और मुख्यमंत्री आमने-सामने, CM के जवाब से संतुष्ट नहीं गवर्नर

राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक ने अब दिलचस्प मोड़ ले लिया है. 'मुख्यमंत्री बनाम उपमुख्यमंत्री' के बाद अब राज्य में 'मुख्यमंत्री बनाम राज्यपाल' की लड़ाई छिड़ी है.

राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक ने अब दिलचस्प मोड़ ले लिया है. 'मुख्यमंत्री बनाम उपमुख्यमंत्री' के बाद अब राज्य में 'मुख्यमंत्री बनाम राज्यपाल' की लड़ाई छिड़ी है.

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Dalchand Kumar
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Kalraj Mishra and Ashok Gehlot

राजस्थान में CM और राज्यपाल आमने-सामने, जवाब से संतुष्ट नहीं गवर्नर( Photo Credit : फाइल फोटो)

राजस्थान (Rajasthan) में चल रही सियासी उठापटक ने अब दिलचस्प मोड़ ले लिया है. 'मुख्यमंत्री बनाम उपमुख्यमंत्री' के बाद अब राज्य में 'मुख्यमंत्री बनाम राज्यपाल' की लड़ाई में तब्दील हो गई है. राज्यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) ने विशेष विधानसभा सत्र बुलाने के कारण जानने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखकर छह बिन्दुओं पर स्पष्टीकरण मांगा था, जिसके दो दिन बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने 31 जुलाई को सत्र बुलाने के लिए एक नया प्रस्ताव भेजा. मगर मुख्यमंत्री के जवाब से राज्यपाल संतुष्ट नहीं हैं.

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क्या राज्यपाल संतुष्ट है गहलोत सरकार के जवाब से ? इस पर सूत्रों का कहना है कि जवाब से राज्यपाल के संतुष्ट नहीं होने के संकेत हैं. प्रथम दृष्टया जवाब राजभवन को अनुकूल नहीं दिखाए दिए हैं. दो-तीन बिंदुओं पर जवाब से राज्यपाल असंतुष्ट बताए जा रहे हैं. फिर भी विशेषज्ञ सरकार के जवाब का अध्ययन कर रहे हैं.

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सूत्रों ने कहा कि यदि विशेषज्ञों ने हरी झंडी दिखा दी तो राज्यपाल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मंजूरी दे सकते हैं. ऐसा न होने पर राज्यपाल फिर से सरकार से जवाब तलब कर सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि मानिसक तौर पर राज्यपाल अभी भी संतुष्ट नहीं हैं. दो दिन पहले राजभवन को घेरने की दी गई चेतवानी के जवाब से वह असंतुष्ट हैं. इसी तरह बाड़ेबंदी हटाने के मामले में भी सरकार ने कोई पुख्ता आश्वासन नहीं दिया है.

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दूसरी ओर, गहलोत कैंप से जुड़े एक बड़े सूत्र ने दावा किया है कि सब कुछ ठीक है. सूत्र ने कहा कि किसी भी समय राज्यपाल सत्र बुलाने की मंजूरी दे सकते हैं. जिसमें मुख्यमंत्री गहलोत अपना स्पष्ट बहुमत साबित कर देंगे. बहरहाल, इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम के बीच आज का दिन निर्णायक होगा. फिलहाल सबकी निगाह राज्यपाल के फैसले पर टिकी है.

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