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पंजाब बाढ़ Photograph: (IG)
पंजाब इस समय 2025 में कई सालों बाद फिर से भयंकर बाढ़ की चपेट में है. अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग अपने घर छोड़कर जाने को मजबूर हैं. राज्य सरकार ने सभी 23 जिलों को बाढ़ प्रभावित घोषित कर दिया है. राहत और बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की टीमें नावों की मदद से लगातार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रही हैं.
पंजाब एक ऐसा राज्य है, जिसने आजादी के बाद से कई बार बाढ़ की मार झेली है. लेकिन आजादी के बाद पंजाब में पहली बार साल 1955 में भीषण बाढ़ आई थी. इस बाढ़ ने जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया था और भारी तबाही मचाई थी. खेत-खलिहान डूब गए, हजारों लोग बेघर हुए और जान-माल का नुकसान हुआ. यह बाढ़ पंजाब के इतिहास की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक मानी जाती है. तो आइए जानते हैं कि पंजाब में 1955 की बाढ़ किस तरह से पहली बड़ी तबाही बनी.
1955 की बाढ़ - पंजाब की पहली बड़ी त्रासदी
आजादी के बाद पंजाब में सबसे पहली बार बड़ी बाढ़ साल 1955 में आई थी. उस समय घग्गर और सतलुज नदियां उफान पर थीं. तेज बारिश और नदियों में पानी बढ़ने की वजह से कई जिलों में पानी भर गया. खेतों में खड़ी फसलें डूब गईं और गांवों में लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया.
मालवा क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान
इस बाढ़ का सबसे बड़ा असर मालवा क्षेत्र में देखने को मिला. यहां बड़ी संख्या में गांव पानी की चपेट में आ गए. लोगों को अपने घर छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ी. उस समय राहत और बचाव कार्य इतने तेज और आधुनिक नहीं थे, इसलिए लोगों को अपने स्तर पर ही जूझना पड़ा.
असर खेती और जीवन पर
1955 की बाढ़ ने यह साफ कर दिया कि पंजाब जैसे कृषि प्रधान राज्य के लिए बाढ़ कितनी खतरनाक हो सकती है. हजारों हेक्टेयर खेती की जमीन बर्बाद हो गई, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा. ग्रामीण क्षेत्रों में लोग रोजमर्रा की जरूरतों से वंचित हो गए और बीमारी फैलने का खतरा भी बढ़ गया.
बाढ़ से सीख
1955 की यह बाढ़ पंजाब के लिए चेतावनी साबित हुई. इसने दिखा दिया कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए मजबूत व्यवस्था की जरूरत है. हालांकि इसके बाद भी पंजाब को 1978, 1988, 1993 और 2019 में फिर से बाढ़ का सामना करना पड़ा, लेकिन 1955 की बाढ़ को हमेशा पहली बड़ी त्रासदी के तौर पर याद किया जाता है.
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