आखिरकार किसानों के आगे झुकी कांग्रेस सरकार, गन्ने के भाव पर बनी सहमति, आंदोलन खत्म
पंजाब में गन्ना किसानों के आंदोलन (Sugarcane farmers' movement) के आगे आखिर पंजाब सरकार (Punjab government) को झुकना ही पड़ा.
चंडीगढ़:
पंजाब में जारी गन्ना किसानों के आंदोलन के सामने आखिरकार सरकार को झुकना ही पड़ा. किसान यूनियन के नेताओं के साथ बातचीत के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों की मांगों को मान लिया है. उन्हें इस साल 360 रुपए प्रति क्विंटल का भाव देने पर भी सहमति दे दी है. सरकार द्वारा मांगे माने जाने के बाद किसानों के अपना आंदोलन खत्म कर दिया है. किसानों को गन्ने का जो भाव दिया गया है वह पड़ोसी राज्य हरियाणा से भी 2 रुपए अधिक हैं. वहीं दिल्ली में कृषि कानूनों के विरुद्ध चल रहे संघर्ष में अपनी जान गंवाने वाले किसानों के एक-एक पारिवारिक सदस्य को नौकरी और 5 लाख रुपए का मुआवजा देने पर भी सहमति बन गई है.
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किसानों का कहना था कि पंजाब सरकार ने हरियाणा की तर्ज पर गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाया. इससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. इसके जवाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पिछले तीन-चार सालों में राज्य की वित्तीय स्थिति के कारण सरकार को गन्ने का उपयुक्त भाव बढ़ाने से रोक रखा था. अब किसानों की मांग को पूरा किया जा रहा है. अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब में पिछले कुछ समय से वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है. इसी कारण किसानों को उनका सही भाव नहीं दिया जा सका. उन्होंने कहा कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर सहकारी और प्राईवेट चीनी मिलों से जुड़े किसानों की जरूरतों का संतुलन बनाना बहुत कठिन है.
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कई दिनों से जारी था किसानों का धरना
पंजाब में गन्ने की कीमत को लेकर किसान कई दिनों से धरने पर बैठे थे. हाल ही में किसानों ने रेलवे रूट भी बाधित कर दिया था. इस कारण कई ट्रेनों को रद्द भी करना पड़ा और कई के रूट बदले गई. अब किसानों की मांग पूरी होने के बाद कांग्रेस के विधायक और चीनी मिल के मालिक राणा गुरजीत सिंह ने गन्ने का भाव बढ़ाने के लिए किसानों के मांग का समर्थन किया. बीते कई दिनों से गन्ना किसानों का आंदोलन चला रहा संयुक्त किसान मोर्चा का प्रतिनिधित्व कर रहे किसान यूनियनों के नेताओं ने मुख्यमंत्री की तरफ से उनकी समस्या सुलझाने और गन्ने के भाव में वृद्धि का ऐलान करने के लिए धन्यवाद किया.
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