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अंदर खाते आज भी मोदी सरकार के साथ मिला है बादल परिवार: कुलतार सिंह संधवां

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब किसान विंग के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक कुलतार सिंह संधवां ने बादल परिवार पर अंदर खाते नरेंद्र मोदी सरकार के साथ मिले होने का आरोप लगाया है

Updated on: 14 Aug 2021, 07:39 PM

नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब किसान विंग के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक कुलतार सिंह संधवां ने बादल परिवार पर अंदर खाते नरेंद्र मोदी सरकार के साथ मिले होने का आरोप लगाया है. आप नेता ने कृषि विरोधी कानूनों पर बादल की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र जिस वक्त सरकार द्वारा काले कृषि कानून लागू किए जा रहे थे, उस वक्त सीनियर बादल इन घातक कानूनों के पक्ष में वीडियो के माध्यम से उन्हें किसान समर्थक बता रहे थे. किसानों के दबाव के बाद उन्होंने मोदी सरकार से अपना नाता तो तोड़ दिया लेकिन एक बार भी काले कानूनों के खिलाफ केंद्र सरकार के खिलाफ अपना मुंह नहीं खोला.

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शनिवार को पार्टी कार्यालय से जारी एक बयान में विधायक कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि पंजाब के सबसे वरिष्ठ राजनीतिक नेता और किसानों के स्वयंभू मसीहा प्रकाश सिंह बादल ने एक बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से तीन काले कृषि कानूनों के मुद्दे पर मुलाकात नहीं की. जबकि पंजाब समेत पूरे देश का किसान लंबे समय से केंद्र के तीन काले कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है और पिछले नौ महीनों से दिल्ली की सीमाओं पर मांगों को लेकर डटा हुआ है. संधवां ने कहा कि अगर मामला केंद्र में सुखबीर सिंह बादल या हरसिमरत कौर बादल की कुर्सी का होता तो सीनियर बादल अब तक मोदी और अमित शाह के दरबार में नतमस्तक हो गए होते. संधवां ने राज्य के लोगों को बादल परिवार की राजनीतिक चालों से सचेत रहने को कहा. उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि बादल परिवार अपने फायदे के लिए अवसरवादिता दिखाने में एक मिनट भी नहीं लगाता. उदाहरण के तौर पर बादल कई बार इन कृषि कानूनों की तारीफ करते हुए इन्हें किसानों के लिए फायदेमंद बता चुके हैं.

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उन्होंने कहा कि बादल किसानों को नए कृषि कानूनों के खिलाफ न बोलने की सलाह देते हुए मोदी सरकार और उसके कानूनों की प्रशंसा के पुल बांधने से भी नहीं चूकेते. इतना ही नहीं खुद शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद सुखबीर सिंह बादल पंजाब सरकार द्वारा कृषि कानूनों के मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी काले कृषि कानूनों की तारीफ करने से पीछे नहीं हटे. लेकिन जब किसान तथा पंजाब की जनता का दबाव बढ़ा तो वोट बैंक खत्म होता देख बादलों ने एक साजिश के तहत खुद को मोदी सरकार से अलग कर दिया. बावजूद इसके प्रकाश सिंह बादल ने एक भी बयान कृषि कानूनों के खिलाफ तथा किसानों के समर्थन में जारी नहीं किया. इस से स्पष्ट संकेत मिलता है कि मौका मिलने पर बादल भाजपा के साथ हाथ मिला लेंगे. संधवां ने कहा कि बादल परिवार को पंजाब,किसानों तथा मजदूरों से कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि किसानों की ओर से संसद में सभी बैठक में हाजिर रहने के लिए जारी पब्लिक व्हिप के बावजूद शिरोमणि अकाली दल के प्रधान तथा लोक सभा सदस्य सुखबीर सिंह बादल हर बार संसद में नदारद रहे.