शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार नहीं, ओडिशा हाईकोर्ट का आदेश

ओडिशा उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के समान नहीं है. खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से संबंध बनाती हैं.

ओडिशा उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के समान नहीं है. खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से संबंध बनाती हैं.

author-image
Kuldeep Singh
New Update
court

शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बलात्कार नहीं, ओडिशा हाईकोर्ट का आदेश( Photo Credit : फाइल फोटो)

ओडिशा उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है कि शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के समान नहीं है. न्यायमूर्ति एस के पाणिग्रही ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि क्या बलात्कार कानूनों का उपयोग अंतरंग संबंधों को विनियमित करने के लिए किया जाना चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से संबंध बनाती हैं. न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने एक निचली अदालत के बृहस्पतिवार के आदेश को दरकिनार कर दिया और बलात्कार के आरोपी की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः महाराष्ट्र में फ्लाइट सेवाएं शुरू होने पर बढ़ा सस्पेंस, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने हरदीप सिंह पुरी से की बात

मामला ओडिशा के कोरापुट जिले से पिछले साल नवंबर में 19 वर्षीय आदिवासी महिला की शिकायत पर बलात्कार के आरोपों के तहत एक छात्र की गिरफ्तारी से जुड़ा था. केस के रिकॉर्ड के अनुसार, उस युवक और उसी गांव की युवती के बीच करीब चार साल से शारीरिक संबंध थे. इस दौरान वह दो बार गर्भवती हुई थी. महिला ने बाद में एक पुलिस शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि युवक ने उसकी मासूमियत का फायदा उठाते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे और शादी का वादा किया था. महिला ने दावा किया था कि आरोपी ने उसे गर्भपात की गोलियों का सेवन करके गर्भ गिराने के लिये मजबूर किया था. पुलिस ने मामला दर्ज कर उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया, जो पिछले छह महीने से जेल में था.

यह भी पढ़ेंः भारत को घेरने चला चीन हांगकांग में फंसा, सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर

उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को इस शर्त पर उसकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली कि वह जांच में सहयोग करेगा और कथित पीड़ित को धमकी नहीं देगा. न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने अपने 12 पृष्ठ के आदेश में बलात्कार कानूनों पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि ''बिना किसी आश्वासन के सहमति से भी संबंध बनाना स्पष्ट रूप से आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता. न्यायमूर्ति पाणिग्रही ने इस मुद्दे को हल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि अक्सर सवाल उठाए जाते हैं कि इस तरह के मामलों को कानून और न्यायिक फैसलों से कैसे हल किया जा सकता है. बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि बलात्कार कानून अक्सर सामाजिक रूप से वंचित और गरीब पीड़ितों की दुर्दशा को ठीक करने में विफल रहे हैं, जहां वे पुरुष द्वारा किये गए शादी के झूठे वादे में फंसकर शारीरिक संबध बना लेती हैं.

Source : Bhasha

odisha High Court rape India Sexual Harassment
      
Advertisment