logo-image

कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला, गैर-हिंदू धार्मिक संस्थानों के लिए नहीं होगा मंदिर के धन का उपयोग

23 जुलाई की एक अधिसूचना में, राज्य सरकार ने मुजराई विभाग से किसी भी गैर-हिंदू संस्थानों या गैर-धार्मिक संस्थानों के लिए धन बांटे जाने पर रोक लगाने का आदेश दिया है.

Updated on: 31 Jul 2021, 05:26 PM

highlights

  • 34,500 हिन्दू मंदिरों में से 27 हजार मंदिरों को वार्षिक 48 हजार रुपये का मिलता है अनुदान  
  • 27 हजार मंदिरों में 764 गैर-हिन्दू धार्मिक संस्थानों को वार्षिक तस्दीक की दी जाती है राशि
  • अन्य 111 को भी मिल रहा है अनुदान

बेंगलुरु:

कर्नाटक सरकार (Government of Karnataka) ने गैर हिंदू धार्मिक संस्थानों (non Hindu religious institutions) के लिए मंदिर के धन के उपयोग पर रोक लगाने के आदेश को अधिसूचित किया है. कर्नाटक के मुजराई मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी (Muzrai Minister Kota Srinivas Pujari) ने धार्मिक संस्थाओं (religious institutions) और परमार्थ बंदोबस्त विभाग (charitable settlement department) को निर्देश दिया है कि वे अपने 'तस्दीक' अनुदान (Attest grant) को गैर-हिन्दू धार्मिक संस्थाओं को ना बांटें. श्रीनिवास पुजारी का कहना है कि बंदोबस्त विभाग से प्राप्त अनुदान का उपयोग सिर्फ हिन्दू मंदिरों और संस्थाओं में होना चाहिए और इसी संबंध में उचित निर्देश दिए गए हैं. बता दें कि, कर्नाटक में हिंदू मंदिरों के लिए आने वाली सरकारी धनराशि 'हिंदू रिलिजियस इंस्टीट्यूशंस एंड चैरिटेबल एंडोवमेंट्स' (HRCE) विभाग द्वारा देखी जाती है. 

यह भी पढ़ें: कर्नाटक में बंदरों पर इस तरह की गई क्रूरता, हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान

सरल भाषा में समझाएं तो, कर्नाटक सरकार द्वारा हिंदू मंदिरों के फंड से अन्य मज़हबी संस्थाओं को दिए जाने वाले फंड पर रोक लगा दी गई है. यह फैसला विश्व हिंदू परिषद जैसी संस्थाओं एवं अन्य हिंदूवादी समूहों के भारी विरोध के बाद आया है. दरअसल, ने कोविड -19 लॉकडाउन के चलते मुश्किल का सामना कर रही दक्षिण कन्नड़ जिले की 41 मस्जिदों और मदरसों के इमामों के साथ-साथ मंदिरों की ‘सी’ श्रेणी में सेवा करने वाले मंदिर के पुजारियों को 3,000 रुपये की वित्तीय राहत देने की योजना बनाई थी. लेकिन इस योजना पर अपना पुरजोर विरोध जताते हुए विश्व हिंदू परिषद ने राज्य के मुजराई मंत्री कोटा श्रीनिवास पुजारी को एक ज्ञापन देकर कहा था कि मंदिरों से प्राप्त धन का इस्तेमाल मंदिरों और हिंदू समुदाय के कल्याण के लिए ही किया जाना चाहिए. हिंदू विभाग के पैसे का इस्तेमाल दूसरे धर्मों के लिए नहीं किया जा सकता. इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए श्रीनिवास पुजारी ने VHP को ये आश्वासन दिया था कि हिंदू विभाग के पैसे को अन्य धर्मों को नहीं दिया जाएगा और मंदिर के भक्तों के पैसे का इस्तेमाल सिर्फ हिंदू मंदिरों के विकास के लिए ही होगा.

यह भी पढ़ें: जय श्रीराम... अब कम्युनिस्ट भी आए मर्यादा पुरुषोत्तम की शरण में

श्रीनिवास पुजारी द्वारा दिए गए एक वीडियो बयान के मुताबिक, कर्नाटक के 34,500 हिन्दू मंदिरों (Hindu temples) में से 27 हजार मंदिरों को वार्षिक 48 हजार रुपये प्रत्येक का अनुदान (Grant) मिलता है, जो करीब 133 करोड़ रुपये तस्दीक अनुदान के बराबर है. इसके अलावा भूमि सुधार (land reform) के दौरान धार्मिक केंद्रों ने काफी जमीनें गंवाई हैं. जानकारी के अनुसार, मंत्री  श्रीनिवास पुजारी ने आलोचनाओं के बाद विभाग के आयुक्त (department commissioner) से रिपोर्ट मंगवाई थी, जिसके मुताबिक, 27 हजार मंदिरों में 764 गैर-हिन्दू धार्मिक संस्थानों (Non-Hindu Religious Institutions) को वार्षिक तस्दीक की राशि दी जा रही है और 111 को अन्य अनुदान प्राप्त हो रहा है.

यह भी पढ़ें: तमिलनाडु सरकार ने 9 अगस्त तक बढ़ाया लॉकडाउन, छूट और प्रतिबंध रहेंगे लागू

इस रिपोर्ट पर काम करते हुए कर्नाटक सरकार (Government of Karnataka) ने अब ये घोषित किया है कि, कानून के अनुसार, बंदोबस्त विभाग (charitable settlement department) द्वारा दिए गए अनुदान का उपयोग सिर्फ और सिर्फ हिन्दू धार्मिक संस्थाएं ही कर सकती हैं.