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जय श्रीराम... अब कम्युनिस्ट भी आए मर्यादा पुरुषोत्तम की शरण में

केरल में पार्टी की मलप्पुरम जिला समिति ने रामायण पर ऑनलाइन संवाद की बकायदा एक श्रंखला शुरू की है.

Updated on: 31 Jul 2021, 12:41 PM

highlights

  • उत्तर प्रदेश में बीएसपी और सपा भी ले रहे हैं श्रीराम की शरण
  • अब केरल में कम्युनिस्टों ने ऑनलाइन रखा रामायण संवाद
  • इसके पहले भी केरल में आयोजित किया जा चुका है कार्यक्रम

कोझिकोड:

कभी भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सिर्फ भगवान श्रीराम के लिए राजनीतिक स्तर पर 'सांप्रदायिक पार्टी' होने का आरोप झेलना पड़ा था. अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) के लिए निकाली गई रथयात्रा के लिए कई वरिष्ठ नेताओं को जेल तक जाना पड़ा, लेकिन समय बदला और आज स्थिति यह है कि कांग्रेस समेत अन्य क्षेत्रीय दल सियासी वैतरणी को पार करने के लिए 'श्रीराम' का नाम लेने लगे हैं. इस कड़ी में सबसे रोचक पहलू है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) का रामायण की ओर रुख करना. इस लिहाज से देखें तो आज की तारीख में लगभग हर राजनीतिक दल के एजेंडे में भगवान श्रीराम का नाम प्रमुखता से शामिल हो चुका है.

प्रभु श्रीराम सियासत में संभावनाओं के प्रतीक बने
इस लिहाज से कह सकते हैं कि प्रभु राम सियासत में नई संभावनाओं के प्रतीक बनते दिख रहे हैं. अब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने अपना 'रंग' बदलते हुए रामायण का रुख किया है. केरल में पार्टी की मलप्पुरम जिला समिति ने रामायण पर ऑनलाइन संवाद की बकायदा एक श्रंखला शुरू की है. इसे दक्षिणपंथी संगठनों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ सियासी जंग में नया हथियार माना जा रहा है. सीपीआई मलप्पुरम की जिला समिति ने अपने फेसबुक पेज पर सात दिवसीय ऑनलाइन संवाद का सिलसिला शुरू किया है. इसमें पार्टी के राज्य स्तरीय नेता भी रामायण और भगवान श्रीराम पर अपनी बात रख रहे हैं. यह संवाद एक सप्ताह भर का आयोजन है, जो 25 जुलाई को शुरू हुआ था.

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केरल में सीपीआई ने रखा रामायण पर ऑनलाइन संवाद
सीपीआई मलप्पुरम के जिला सचिव ने रामायण के इस संवाद कार्यक्रम पर बताया, 'वर्तमान समय में सांप्रदायिक और फासीवादी ताकतें हिंदुत्व से जुड़ी हर चीज पर अपना इकलौता दावा करती हैं. खास तौर से बड़े पैमाने पर समाज और अन्य राजनीतिक दल इससे दूर जा रहे हैं. रामायण जैसे महाकाव्य हमारे देश की साझी परंपरा और संस्कृति का हिस्सा हैं.' उन्होंने साथ ही कहा कि टॉक सीरीज के जरिए पार्टी ने कोशिश की है कि प्रगतिवादी दौर में रामायण को कैसे पढ़ा और समझा जाना चाहिए. रामयाण के समकालीन राजनीति पर बात करते हुए केशवन नायर ने कहा कि रामायण कालीन राजनीति बिल्कुल अलग थी जैसी संघ परिवार करता आ रहा है.