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महाराष्ट्र BJP में रार पर विराम, मुंडे बोलीं- मेरे नेता मोदी, नड्डा और शाह

महाराष्ट्र बीजेपी नेता और राष्ट्रीय महासचिव पंकजा मुंडे ने कहा कि मैं अपने सभी कार्यकर्ताओं के इस्तीफे को एक सिरे से खारिज करती हूं. क्या मैंने आप सब से इस्तीफा मांगा था? मैं नहीं चाहती हूं कि आप लोग मेरे लिए किसी भी तरह का बलिदान करें.

Updated on: 13 Jul 2021, 04:52 PM

highlights

  • पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा मेरे नेताः पंकजा मुंडे
  • मैं और मेरी बहन मंत्रिपद के लिए राजनीति में नहीं आएः मुंडे
  • मैंने किसी से इस्तीफा देने के लिए नहीं कहाः पंकजा मुंडे

मुंबई:

महाराष्ट्र बीजेपी नेता और राष्ट्रीय महासचिव पंकजा मुंडे ने कहा कि मैं अपने सभी कार्यकर्ताओं के इस्तीफे को एक सिरे से खारिज करती हूं. क्या मैंने आप सब से इस्तीफा मांगा था? मैं नहीं चाहती हूं कि आप लोग मेरे लिए किसी भी तरह का बलिदान करें. मैं इस बात को लेकर काफी खुश हूं कि मेरे समुदाय से आने वाले सदस्य (भागवत कराड) को पार्टी ने मंत्रिपद दिया है. उन्होंने आगे कहा कि, मुंडे साहब (गोपीनाथ मुंडे) ने हमेशा समाज के निचले तबके के लोगों को उच्च पदों पर बैठाया. उन्होंने मुझे और प्रीतम को मंत्री बनने के लिए राजनीति में नहीं लाया था. जब उनका निधन हुआ तो महाराष्ट्र बीजेपी ने मुझे मंत्रिपद की पेशकश की लेकिन मैंने मंत्रिपद लेने से इनकार कर दिया था. प्रीतम और मुझे मंत्रिपद की इच्छा नहीं है. 

पंकजा मुंडे ने आगे कहा कि मैं पार्टी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर काम करता हूं. मेरे नेता नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा हैं. आज मैंने अपने कार्यकर्ताओं से बातचीत की है, क्योंकि हमारे कई कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा देने की पेशकश की थी, मेरे इन कार्यकर्ताओं और समर्थकों का मानना था कि मुझे भी कैबिनेट विस्तार में जगह मिलनी चाहिए थी. जिसके लिए मैंने उन्हें काफी समझाया बुझाया है.

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पंकजा ने छोटी बहन प्रीतम मुंडे को मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद में जगह न मिल पाने पर नाराजगी जाहिर की थी. पंकजा मुंडे ने यह स्वीकार किया था कि वह प्रीतम को कैबिनेट में जगह न मिल पाने से नाराज हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि यह सिद्धांतों के लिए धर्मयुद्ध का सही समय नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि इसका फैसला सही समय पर लिया जाएगा. मुंडे ने यह तो स्वीकार किया कि वह पार्टी के फैसले से नाराज हैं, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व पर भरोसा भी जाहिर किया. उन्होंने बहन के मंत्री न बन पाने का ठीकरा सीधे तौर पर राज्य की लीडरशिप पर फोड़ा था. 

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बता दें कि महाराष्ट्र में नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित गढ़चिरोली जिले में पिछले दिनों कुछ पर्चे बांटे गए, जिसमें मराठा समाज को पिछड़ा बताते हुए उसे आरक्षण देने की मांग की गई थी. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सचिव सह्याद्गि की ओर से लिखे इस पर्चे में नक्सलियों ने मराठा समाज से संगठित होने की अपील की है. पर्चे में खा गया है कि सभी सत्ताधारियों पूंजीपतियों के दलाल हैं और राजनीतिक पार्टी मराठा समाज की एकता का उपयोग केवल राजनीतिक दांवपेच के लिए करते हैं. इसमें कहा गया है कि मराठा समाज का उपयोग केवल वोटबैंक के रूप में किया जा रहा है.