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मराठा आरक्षण के लिए फिर शुरू हुआ आंदोलन
Maratha Reservation: मराठा आरक्षण की लड़ाई एक बार फिर सड़कों पर उतर चुकी है. मनोज जरांगे पाटील के आह्वान पर 29 अगस्त को मुंबई के आज़ाद मैदान में विशाल प्रदर्शन की तैयारी है. समर्थकों की भीड़ एक दिन पहले ही आज़ाद मैदान की ओर कूच कर रही है, जबकि मुंबई पुलिस ने सिर्फ 5,000 प्रदर्शनकारियों की अनुमति दी है. सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा करते हुए CRPF जवानों की तैनाती की गई है. प्रशासन की कोशिश है कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहे, लेकिन जरांगे के आक्रामक तेवर देखकर हालात बिगड़ने की आशंका बनी हुई है.
हाईकोर्ट का कड़ा रुख, सरकार की सख़्त शर्तें
बॉम्बे हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि जरांगे पाटील बिना पुलिस अनुमति के आज़ाद मैदान पर प्रदर्शन नहीं कर सकते और इसके लिए पहले औपचारिक आवेदन करना होगा. मुंबई पुलिस ने 29 अगस्त, सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक केवल एक दिन की अनुमति दी है. शर्तों के अनुसार इस प्रदर्शन में अधिकतम 5,000 लोग शामिल हो सकेंगे और सिर्फ 5 गाड़ियों को मैदान तक आने की मंजूरी मिली है और बाकी वाहनों को वाडी बंडर में पार्क करना होगा. आंदोलन के दौरान माइक्रोफोन या स्पीकर जैसे उपकरणों की अनुमति नहीं है और किसी भी तरह के पदयात्रा पर सख्त मनाई है. प्रदर्शनकरियों को हाई कोर्ट द्वारा दिए गए सभी नियमों का सख्ती से पालन करना होगा.
अनिश्चितकालीन उपोषण की चेतावनी
जरांगे पाटील ने पुलिस की एक दिन की अनुमति को “अन्यायपूर्ण” करार दिया है. उनका कहना है कि आरक्षण की लड़ाई लंबी है और एक दिन का प्रदर्शन पर्याप्त नहीं है. जरांगे ने साफ किया है कि वे 29 अगस्त से अनिश्चितकालीन उपोषण (हंगर स्ट्राइक) पर बैठेंगे. मराठा समाज की मांग है कि तत्काल प्रभाव से मराठा समुदाय को OBC आरक्षण में शामिल किया जाए. उनका आरोप है कि सरकार बार-बार आश्वासन देती है लेकिन ठोस कदम नहीं उठा रही. जरांगे समर्थक हजारों की संख्या में मुंबई पहुंच रहे हैं, जिससे आज़ाद मैदान पर भीड़ का दबाव बढ़ सकता है.
गणेशोत्सव पर असर और सरकार की चिंता
मुंबई में गणेशोत्सव की तैयारियों के बीच जरांगे के आंदोलन ने प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. हजारों की भीड़ से न केवल यातायात बाधित हो सकता है, बल्कि सुरक्षा को लेकर भी चिंता गहरा गई है. सरकार ने जरांगे पाटील के साथ पुणे में बैठक बुलाकर बातचीत की कोशिशें तेज कर दी हैं. हालांकि जरांगे का रुख फिलहाल सख्त है और वह किसी समझौते के मूड में नहीं दिख रहे. पुलिस और प्रशासन को आशंका है कि भीड़ नियंत्रण में न रही तो मुंबई की कानून-व्यवस्था पर सीधा असर पड़ सकता है.
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