Indo-China Relation: दो दिनों के लिए चीन जा रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जानें ड्रैगन के साथ भारत का 1950 से अब तक का सफर

Indo-China Relation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय के बाद चीन जाने वाले हैं. वे यहां एससीओ समिट में हिस्सा लेंगे. इंडिया, रूस और चीन की दोस्ती में इस यात्रा से नई जान आने वाली है.

Indo-China Relation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय के बाद चीन जाने वाले हैं. वे यहां एससीओ समिट में हिस्सा लेंगे. इंडिया, रूस और चीन की दोस्ती में इस यात्रा से नई जान आने वाली है.

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Madhurendra Kumar
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PM Modi China Visit know history of Indo China Relation from 1950 to 2020

PM Modi and XI Jinping (NN)

Indo-China Relation: पीएम मोदी जापान और चीन की यात्रा पर हैं. चीन की यात्रा दोनों देशों के संबंधों में एक नए हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि गलवान हिंसा के बाद पीएम की ये पहली यात्रा है. इस यात्रा का समय भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अमेरिकी संबंध, जो भारत-चीन तनाव के बीच चरम पर था, वह अब अवसान पर दिखाई दे रहा है. वहीं रूस के साथ संबंधों को साधते हुए भारत-यूएस के साथ ट्रेड वॉर में है, जबकि चीन के साथ पटरी पर लौटते संबंध RIC यानी रूस चीन और इंडिया के फोरम में नई जान फूंकते नजर आ रहे हैं. लेकिन इस बीच यह भी एक महत्वपूर्ण तथ्य है की ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान की भरपूर मदद की. 

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पीएम मोदी की चीन यात्रा, SCO समिट में शामिल होने से लेकर प्रेसिडेंट शी से उनकी द्विपक्षीय बातचीत के ठीक पहले दोनों देशों के रिश्ते और इसमें आए उतार चढ़ाव और तनाव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझना जरूरी है.

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Indo-China Relation: कूटनीतिक संबंधों की शुरुआत

भारत ने 1 अप्रैल 1950 को चीनी जनवादी गणराज्य के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए. यह कदम दोनों देशों के बीच दोस्ताना संबंधों की नींव माना गया. हालांकि, 1962 का भारत-चीन सीमा युद्ध द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़ा झटका रहा. इसके बाद दो दशकों तक रिश्तों में ठंडापन बना रहा. 1988 में प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चीन यात्रा ने रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की दिशा में पहला कदम रखा.

Indo-China Relation: प्रमुख राजनीतिक मील के पत्थर

2003 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की यात्रा के दौरान स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स मैकेनिज्म की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य सीमा विवाद पर संवाद और समाधान को सुचारू बनाना था. अप्रैल 2005 में चीनी प्रधानमंत्री वें जीआबाओ की भारत यात्रा ने स्ट्रैटेजिक एंड कोऑपरेटिव पार्टनरशिप की नींव रखी. सितंबर 2014 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा ने क्लोजर डेवलपमेंटल पार्टनरशिप की शुरुआत की, जबकि मई 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा ने इस गति को बनाए रखा.

दो अनौपचारिक शिखर सम्मेलन भी आयोजित किए गए: वुहान (अप्रैल 2018) और चेन्नई (अक्टूबर 2019), जिनमें दोनों पक्षों ने आपसी समझ और भरोसे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया.

Indo-China Relation: सीमा और सुरक्षा सहयोग

अप्रैल–मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में LAC पर घटनाओं ने संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला. इसके बाद BRICS समिट, कज़ान (रूस) के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी की मुलाकात ने धीरे-धीरे सुधार की दिशा में प्रयासों को आगे बढ़ाया. अगस्त–सितंबर 2025 में Tianjin SCO Summit में पीएम मोदी की चीन यात्रा और राष्ट्रपति शी से मुलाकात प्रस्तावित है.

सीमा प्रबंधन के लिए स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव्स मैकेनिज्म और वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) लगातार सक्रिय हैं. जून 2020 के बाद दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में डिसएंगेजमेंट पर ध्यान केंद्रित किया. साथ ही, जल संसाधनों के सहयोग के लिए 2006 से विशेषज्ञ-स्तरीय मैकेनिज्म कार्यरत है, जिसमें बाढ़ और सीमा पार नदियों पर डेटा साझा करना और आपातकालीन प्रबंधन शामिल है.

Indo-China Relation: आर्थिक और व्यापारिक संबंध

भारत और चीन के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग में भी मजबूती आई है. अगस्त 2025 में विदेश मंत्री जयशंकर और वांग यी की मुलाकात के बाद चीन ने भारत के लिए उर्वरक, दुर्लभ पृथ्वी खनिज और टनल बोरिंग मशीन पर लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए. यह कदम दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को और सुदृढ़ करेगा.

Indo-China Relation: लोग और सांस्कृतिक संपर्क

लोगों के बीच संपर्क को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. 2025 में कैलाश मानसरोवर यात्रा पुनः शुरू की गई, और दोनों देशों ने वीज़ा सुविधा को पुनः शुरू करने पर सहमति जताई. इसके अलावा, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों पर भी बातचीत जारी है, जो दोनों देशों के नागरिकों और व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी.

भारत-चीन संबंधों का इतिहास संघर्ष और सहयोग का मिश्रण रहा है. कूटनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों के बीच संपर्क के हर आयाम में दोनों देशों ने सुधार और सहयोग के लिए लगातार प्रयास किए हैं. SCO समिट के अवसर पर उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में नई गति आएगी.

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