Mumbai News: महाराष्ट्र में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बैंक धोखाधड़ी के एक बड़े मामले में विंध्यवासिनी ग्रुप ऑफ कंपनीज और इसके प्रमोटरों की 81.88 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच कर लिया है. यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है.
सीबीआई की प्राथमिकी बनी थी आधार
ईडी की मुंबई जोनल ऑफिस-II ने इस मामले में समूह के प्रमोटर विजय राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, अजय आर. गुप्ता और उनके सहयोगियों को आरोपी बनाया है. ईडी की जांच की शुरुआत केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की मुंबई यूनिट द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर हुई थी. इसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कई धाराएं लगाई गई हैं.
SBI को करोड़ों का नुकसान
सीबीआई की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने बैंक अधिकारियों, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, लोन कंसल्टेंट्स और अन्य षड्यंत्रकारियों के साथ मिलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से फर्जी दस्तावेजों के सहारे लोन प्राप्त किए. यह लोन विभिन्न कंपनियों के नाम पर लिया गया था, जिसे बाद में ग़लत तरीकों से डायवर्ट कर निजी लाभ और अन्य गैर-कानूनी कार्यों में लगाया गया. इस धोखाधड़ी से एसबीआई को करीब 764.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.
42 करोड़ से ज्यादा का नकद निकाला
ईडी की जांच में यह भी पता चला है कि आरोपी प्रमोटरों ने 50 से अधिक शेल कंपनियों के माध्यम से इन लोन की राशि को इधर-उधर कर कई संपत्तियां खरीदीं. इनमें कुछ संपत्तियां उनके खुद के नाम, कुछ उनके परिवारजनों और कई बेनामी नामों पर हैं. इतना ही नहीं, आरोपियों ने 42 करोड़ रुपये से ज्यादा का नकद निकाला था .
जांच में जुटी एजेंसी
इस मामले में ईडी ने मुख्य आरोपी विजय आर. गुप्ता को 26 मार्च 2025 को PMLA की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया था. वे इस समय न्यायिक हिरासत में हैं. ईडी का कहना है कि जांच अभी जारी है और आने वाले समय में और भी बड़ी कार्रवाई की जा सकती है. एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि इस घोटाले से जुड़े और भी लोगों की भूमिका की जांच की जा रही है.
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