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ईवीएम पर अजित पवार ने कांग्रेस को घेरा, कहा- जीते तो EVM ठीक, हारे तो खराब

अजित पवार ने ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को जवाब दिया है और साथ ही अपने सहयोगी दल कांग्रेस (Congress) पर भी सवाल खड़े किए हैं.

Updated on: 11 Feb 2021, 03:10 PM

highlights

  • ईवीएम पर कांग्रेस और एनसीपी में मतभेद
  • अजित पवार ने कांग्रेस पर बोला हमला
  • ईवीएम ने अजित पवार ने जताया भरोसा

मुंबई:

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine) यानी ईवीएम के मुद्दे पर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ एनसीपी और कांग्रेस के बीच मतभेद देखने को मिल रहा है. महाराष्ट्र (Maharashtra) के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी के नेता अजित पवार (Ajit Pawar) ने ईवीएम को सही बताया है. अजित पवार ने ईवीएम पर सवाल उठाने वालों को जवाब दिया है और साथ ही अपने सहयोगी दल कांग्रेस (Congress) पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार राजस्थान और पंजाब में आई. तब अच्छा बहुमत मिला तो कहते हैं सब ठीक है. हार गए तो बोलते हैं ईवीएम (EVM) मैनेज किया गया. अजित पवार ने खुद ईवीएम पर भरोसा जताया है.

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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, 'जब EVM मशीन था तब भी कांग्रेस की सरकार राजस्थान और पंजाब में आई. तब भी बहुत बार हमारी पार्टी के लोग अच्छा बहुमत मिला तो कहते हैं सब ठीक है. बहुत ज़्यादा वोटों से हार गए तो बोलते हैं EVM मैनेज किया गया.' उन्होंने आगे कहा कि EVM ठीक चल रहा है. मेरा EVM पर पूरा भरोसा है.

अजित पवार का यह बयान महाराष्ट्र में कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले के कानून बनाने के सुझाव पर प्रतिक्रिया के रूप में आया है. दरअसल, महाराष्ट्र में विधानसभा अध्यक्ष रहते नाना पटोले ने एक ऐसा कानून बनाने का सुझाव दिया था, जिससे मतदाताओं को स्थानीय और राज्य विधानसभा चुनाव में ईवीएम के साथ-साथ बैलेट पेपर से भी मतदान करने का विकल्प मिल सके. हालांकि बाद में कांग्रेस नेता नाना पटोले ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.

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उल्लेखनीय है कि इसी महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नाना पटोले को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति (एमपीसीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया. पटोले ने वरिष्ठ नेता और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात की जगह ली. 57 वर्षीय पटोले की नियुक्ति गुरुवार शाम को विधानसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद हुई. शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की एमवीए सरकार ने नवंबर 2019 में पदभार ग्रहण करने के बाद उन्हें विधानसभा अध्यक्ष के रूप में चुना था और लगभग 14 महीनों तक पद पर काबिज रहे थे.