एक अमरनाथ मंदिर यहां भी, आस्था और प्रकृति का अद्भुत संगम, सिर्फ साल में 10 दिन ही खुलता है

MP Amarnath Temple: यूं तो जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ मंदिर मौजूद है, लेकिन एमपी में भी ऐसा ही एक प्रकृति और आस्था का संगम मौजूद है, जिसे मध्य प्रदेश का अमरनाथ मंदिर बोला जाता है. ये सिर्फ साल में 10 दिन ही खुलता है.

MP Amarnath Temple: यूं तो जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ मंदिर मौजूद है, लेकिन एमपी में भी ऐसा ही एक प्रकृति और आस्था का संगम मौजूद है, जिसे मध्य प्रदेश का अमरनाथ मंदिर बोला जाता है. ये सिर्फ साल में 10 दिन ही खुलता है.

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Yashodhan.Sharma
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MP Amarnath Temple

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Pachmarhi: मध्य प्रदेश में भी एक अमरनाथ मंदिर मौजूद है. जी हां हम बात कर रहे हैं सतपुड़ा की घुमावदार पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच बसे पचमढ़ी की, जो अपने धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. यही पचमढ़ी नगरी शिव भक्ति का एक अद्भुत केंद्र है, जहां स्थित है नागद्वार मंदिर जिसे एमपी का अमरनाथ भी कहा जाता है.

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साल में 10 दिन के लिए ही खुलता है

यह पवित्र धाम नर्मदापुरम जिले के पचमढ़ी क्षेत्र में स्थित है और साल में सिर्फ 10 दिनों के लिए ही भक्तों के दर्शन हेतु खोला जाता है. यह विशेष यात्रा सावन मास के दौरान होती है और इस वर्ष यह यात्रा 19 जुलाई से प्रारंभ होकर 29 जुलाई तक चलेगी, जिसका समापन नागपंचमी पर होगा.

कठिन यात्रा और गहरी आस्था

नागद्वार मंदिर की यात्रा आसान नहीं है. श्रद्धालुओं को शिव के दर्शन के लिए करीब 20 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई और सात दुर्गम पहाड़ियों को पार करना होता है. इस दौरान श्रद्धालु घने जंगलों, ऊंची चोटियों, बहती नदियों और झरनों के बीच से गुजरते हैं. यह यात्रा वास्तव में आस्था की परीक्षा बन जाती है. इस वर्ष देशभर से करीब 5 से 6 लाख श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है.

स्वर्गद्वार से नागद्वार तक

इस तीर्थ यात्रा में स्वर्गद्वार एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. यहां दो विशाल पहाड़ियों के बीच एक सीधी सीढ़ी बनाई गई है, जिससे होकर श्रद्धालु मुख्य मंदिर तक पहुंचते हैं. नागद्वार मंदिर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के कोर जोन में स्थित है, इसलिए इस क्षेत्र में प्रवेश केवल इन्हीं दस दिनों के लिए संभव है.

पौराणिक मान्यता और रहस्य

इस धाम से जुड़ी एक रोचक पौराणिक कथा भी है. मान्यता है कि जब भस्मासुर ने भगवान शिव से वरदान पाकर उसे परखने के लिए उन्हीं के पीछे दौड़ लगाया, तब शिव जी नागद्वारी में नागराज को छोड़कर चौरागढ़ चले गए. इसी कारण इस स्थान को नागराज की दुनिया भी कहा जाता है.

नागद्वार मंदिर आध्यात्म, आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्वितीय संगम है. अमरनाथ की तरह यह यात्रा भी भक्तों के लिए जीवन भर की अविस्मरणीय श्रद्धायात्रा बन जाती है.

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