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एमपी: कोरोना में सख्ती जरूरी, लेकिन प्रताड़ना की अनुमति किसकी?

प्रशासनिक सख्ती की आड़ में प्रताड़ना की झलक नीमच में देखने को मिली. नीमच प्रशासन ने जनता कर्फ्यू के बीच औद्योगिक इकाईयो केा ही बंद कर दिया था. विरोध के स्वर उठे तो प्रशासन ने अपना आदेश वापस लिया.

Updated on: 21 May 2021, 01:33 PM

भोपाल:

कोरोना महामारी रोकने के लिए जहां मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग और बार-बार हाथ धोना जरूरी है. इसे लेकर प्रशासन का सख्त रवैया भी आवश्यक है, लेकिन ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जिसे देखकर लगता है कि इस सख्ती की आड़ में मानवीय संवेदनाओं को तार-तार किया जा रहा है, प्रताड़ना का भी दौर चल रहा है. प्रशासनिक सख्ती की आड़ में प्रताड़ना की झलक नीमच में देखने को मिली. नीमच प्रशासन ने जनता कर्फ्यू के बीच औद्योगिक इकाईयो केा ही बंद कर दिया था. विरोध के स्वर उठे तो प्रशासन ने अपना आदेश वापस लिया.

प्रशासन ने जनता कर्फ्यू के दौरान किराना, सब्जी-फल आदि की दुकानों को भी पूरी तरह बंद कर दिया है. इतना ही नहीं किराना सामान की होम डिलीवरी भी बंद है. सवाल उठ रहा है कि लोग आने वाले 10 दिन बगैर सब्जी, फल और राशन या किराना सामग्री के वक्त कैसे गुजार सकेंगे ? कहीं यह आम लोगों को मानसिक वेदना से तो नहीं भर देगा?

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इस मामले को लेकर स्थानीय पत्रकार जिनेंद्र सुराना लगातार आवाज उठा रहे हैं . उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय को भी इन स्थितियों से अवगत कराया है. उनका कहना है '' जिला प्रशासन मनमानी कर रहा है और स्थानीय लोगों को प्रताड़ित कर रहा है. लोगों को सब्जी,फल और जरूरी सामान नहीं मिलेगा तो उनका क्या हाल होगा, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती. कोरोना में रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए हरी सब्जी और फल के साथ पौष्ठिक खाद्य लेने की सलाह दी जाती है, मगर नीमच में तो लोग इसके लिए तरस जाएंगे. बीमारों का क्या हाल होगा, इससे प्रशासन बेखबर है.''

नीमच के विधायक दिलीप सिंह परिहार ने भी प्रशासन के रवैए को लेकर मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि फल-सब्जी ,किराना, आटा चक्की आदि को सप्ताह में दो दिन खोलने की अनुमति प्रदान की जाए ताकि आम लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े.

एक अन्य वाक्य सागर जिले में सामने आया है जहां एक महिला अपनी बेटी के साथ किसी काम से निकली थी तो पुलिस कर्मचारियों ने उसके साथ अभद्रता कर दी. सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें दावा किया जा रहा है कि महिला और उसकी बेटी के साथ पुलिस वालों ने किस तरह अभद्रता की.

दतिया जिले में तो प्रशासनिक अमला नए तरह की सजा सुना रहा है . यहां वाहन से जो भी कहीं आता जाता दिखता है, उससे बगैर कुछ पूछे ही उसके दो पहिया अथवा चार पहिया वाहन की हवा निकाल दी जाती है . प्रशासन इस बात को नजरअंदाज किए हुए हैं कि जिनके वाहनों की हवा निकाल दी जाती है उनका क्या हाल होता होगा. आखिर वे किस मुसीबत में घर से निकले थे.

स्थानीय नेता सुनील तिवारी कहते हैं कि प्रशासन और पुलिस के जवान अफसरों की मौजूदगी में लोगों से मनमानी कर रहा है. कोरोना में सख्ती जरुरी है मगर लोगों की मजबूरी भी समझना होगी, जो बेवजह घूमता पाया जाए, उसकी गाड़ी जप्त कर ली जाए, उस पर आर्थिक् दंड लगाया जाए, लेकिन हवा निकालने से दो तरह की परेशानी होती हैं . एक तो वाहन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने पर उसके ट्यूब टायर खराब हो जाते हैं, वहीं जरूरतमंद का वाहन अनुपयोगी हो जाता है.

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दूसरी ओर कई जिले ऐसे है जहां प्रशासन लोगों को दंड दे रहा है मगर मानसिक प्रताड़ना देने वाला नहीं . उदाहरण के तौर पर सागर जिले की चैकी ग्राम पंचायत में मास्क न लगाने पर पांच पेड़ लगाना पड़ रहे हैं. सतना जिले के केालगवां में राम नाम लिखना पड़ रहा है. कई स्थानो पर लोगांे को खुली जेल में भेजा जा रहा है.

मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी ने आम जिंदगी को बेहाल कर रखा है. सरकार इसकी रोकथाम के लिए एहतियाती कदम उठा रही है और जनता कर्फ्यू भी लगाया गया है. इन कोशिशों का असर भी दिख रहा है. एक तरफ जहां मरीजों की संख्या कम हो रही है तो वहीं दूसरी ओर स्वस्थ होने का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है.

यह बात सही है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने जनता कर्फ्यू का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं और आम लोगों से भी सहयोग की अपील की है. सरकार के निर्देश का कई जिलों के वरिष्ठ अधिकारी बेजा लाभ भी उठा रहे है. सख्ती के नाम पर मनमानी कर रहे हैं .