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मध्य प्रदेश में नतीजों के बाद की रणनीति पर सियासी कदमताल

28 विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा को आठ स्थानों पर जीत की जरूरत है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतने के बाद एक और विधायक की जरुरत होगी.

Updated on: 06 Nov 2020, 03:20 PM

भोपाल:

मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव (Madhya Pradesh Bypolls 2020) के नतीजे आने से पहले ही सत्ताधारी दल भाजपा (BJP) और विपक्षी दल कांग्रेस (Congress) ने अपनी आगामी रणनीति के लिए कदमताल तेज कर दी है, कहीं बैठकों का दौर जारी है तो कहीं विधायकों से मेल मुलाकात तेज हो गई है. राज्य के 28 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान हो चुका है और 10 नवंबर को मतगणना होने वाली है. सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्ष कांग्रेस का दावा है कि नतीजे उनके पक्ष में आएंगे और सरकार उनकी बनेगी. अंकगणित को लेकर दोनों के अपने-अपने तर्क हैं.

28 सीटों पर हुए उपचुनाव
विधानसभा की स्थिति पर गौर करें तो 230 सदस्यों वाली विधानसभा में एक स्थान रिक्त है वहीं 28 स्थानों पर उपचुनाव हुए हैं. वर्तमान में 201 विधायक हैं जिनमें भाजपा के पास 107 कांग्रेस के 87 और चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा का है. इस तरह 28 विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा को आठ स्थानों पर जीत की जरूरत है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस को सभी 28 सीटें जीतने के बाद एक और विधायक की जरुरत होगी.

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परिणाम बाद रणनीति पर मंथन
जीत की आस लगाए दोनों दल चुनाव परिणामों के बाद की रणनीति पर मंथन करने में जुटे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं, साथ ही मतदान की समीक्षा कर रहे हैं. परिणामों के बाद के अंक गणित पर भी जोड़-घटाव जारी है. उनका कोर ग्रुप इस बात पर भी मंथन कर रहा है कि अगर कांग्रेस 20 या उसके आसपास सीटें जीतती हैं तो किस तरह आगे बढ़ा जाएगा. इसको लेकर निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों से कांग्रेस के नेता लगातार संपर्क में हैं. कांग्रेस को भरोसा तो इस बात का है कि अगर भाजपा को पूर्ण बहुमत से बहुत ज्यादा सीटें नहीं मिलती हैं तो पार्टी में बगावत हो सकती है और उसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है.

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भाजपा है निश्चिंत
वहीं दूसरी ओर भाजपा थोड़ी निश्चिंत है क्योंकि उसे इस बात की पूरी उम्मीद है कि वह पूर्ण बहुमत के लिए आवश्यक कम से कम आठ सीटें तो जीत ही लेगी, साथ ही उसे निर्दलीय बसपा और सपा के विधायकों का भी समर्थन हासिल रहेगा. जहां दो निर्दलीय विधायक पूर्व में ही भाजपा को समर्थन दे चुके हैं, वहीं एक निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा और बसपा विधायक संजीव कुशवाहा की नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह से शुक्रवार को मुलाकात हुई. इस मुलाकात को सियासी तौर पर महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

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बसपा है बीजेपी के साथ
बसपा विधायक कुशवाहा का कहना है कि उनका भाजपा को समर्थन है, जहां तक भूपेंद्र सिंह से मुलाकात की बात है तो वह क्षेत्र के विकास को लेकर हुई है. राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का मानना है कि राज्य के उप-चुनाव सियासी तौर पर काफी अहम है, पहले हुए उपचुनाव से यह चुनाव अलग है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस उप-चुनाव के नतीजे सरकार तक पर असर डाल सकते हैं. यही कारण है कि दोनों दल सजग और सतर्क हैं, राजनीति में कब क्या हो जाए इसे कोई नहीं जानता. इसीलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ने नतीजों से पहले अपनी रणनीति पर मंथन तेज कर दिया है.