Jharkhand: सर्दी शुरू और पतरातू डैम हुआ गुलजार, उमड़ा विदेशी पक्षियों का हुजूम

Patratu Dam: पिछले वर्ष यहां 680 प्रवासी पक्षी दर्ज किए गए थे, जिनमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियां जैसे कॉमन कूट, रेड-हेडेड पचार्ड और बार-हेडेड गूज शामिल थीं.

Patratu Dam: पिछले वर्ष यहां 680 प्रवासी पक्षी दर्ज किए गए थे, जिनमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियां जैसे कॉमन कूट, रेड-हेडेड पचार्ड और बार-हेडेड गूज शामिल थीं.

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Yashodhan.Sharma
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Siberian birds

Siberian birds Photograph: (Wikimedia)

Patratu Dam: झारखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पतरातू डैम इन दिनों सैलानियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं लग रहा है. सर्दियों की शुरुआत के साथ ही यहां साइबेरिया सहित दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले प्रवासी पक्षियों का जमावड़ा दिखाई देने लगा है. डैम की शांत जलधारा पर मंडराते इन खूबसूरत पक्षियों ने पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. रोजाना बड़ी संख्या में स्थानीय और बाहरी पर्यटक यहां सिर्फ इन पंखों वाले मेहमानों की झलक पाने के लिए पहुंच रहे हैं, जिससे यह स्थान एक बार फिर पर्यटन का केंद्र बन गया है.

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नाविकों के चेहर पर दिखाई दी खुशी 

पतरातू लेक रिजॉर्ट में नौकायन कराने वाले नाविक भी इस मौसम से खासे खुश हैं. झारखंड पर्यटन विकास निगम (JTDC) की ओर से यहां 100 से अधिक नावें संचालित की जाती हैं. नाविक अरुण मुंडा के अनुसार, “पक्षियों की मौजूदगी से पर्यटकों का अनुभव कई गुना बढ़ जाता है. लोग नाव की सैर करते हुए इन पक्षियों की तस्वीरें और वीडियो बनाते हैं. तापमान में और गिरावट आने पर अधिक पक्षियों के आने की उम्मीद है.” उन्होंने बताया कि सभी नाविक इस बात का ध्यान रखते हैं कि कोई भी पर्यटक पक्षियों को परेशान न करे या उनकी ओर कोई अनुचित हरकत न करे.

लगातार हो रही निगरानी

इधर, रामगढ़ के डीएफओ नितीश कुमार ने मीडिया को जानकारी दी कि वन विभाग और स्थानीय प्रशासन मिलकर लगातार निगरानी कर रहे हैं, ताकि किसी भी तरह की शिकार गतिविधि को रोका जा सके. पिछले वर्ष यहां 680 प्रवासी पक्षी दर्ज किए गए थे, जिनमें कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियां जैसे कॉमन कूट, रेड-हेडेड पचार्ड और बार-हेडेड गूज शामिल थीं.

इसी बीच देश के अन्य हिस्सों में भी प्रवासी पक्षियों के आगमन ने प्रकृति प्रेमियों को उत्साहित किया है. पुणे के कुम्भरगांव, ताम्हिणी घाट और अन्य घाटियों में दुर्लभ पक्षी दिखाई दे रहे हैं, जबकि कई स्कूलों में बच्चों को प्रकृति से जोड़ने के लिए बर्ड-वॉचिंग जैसी गतिविधियां शुरू की गई हैं.

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