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कोडरमा की ग्रामीण महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर, बनाती हैं लाह की चूड़ियां

कोडरमा की ग्रामीण महिलाएं लाह की चूड़ियों बना रही हैं और आत्मनिर्भर बन रही हैं. इन महिलाओं को संबल देने वाली संगीता देवी है. जिन्होंने पहले खुद एक NGO की मदद से चूड़िया बनाना सीखा और अब ग्रामीण महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही है.

Updated on: 06 Dec 2022, 12:15 PM

highlights

. ग्रामीण महिलाएं बन रही आत्मनिर्भर
. लाह की चूड़ियों बना रही ग्रामीण महिलाएं
. संगीता देवी ने महिलाओं का बनाया समूह
. 90 महिलाएं मिलकर बनाती है लाह की चूड़ियां

Koderma:

कोडरमा की ग्रामीण महिलाएं लाह की चूड़ियों बना रही हैं और आत्मनिर्भर बन रही हैं. इन महिलाओं को संबल देने वाली संगीता देवी है. जिन्होंने पहले खुद एक NGO की मदद से चूड़िया बनाना सीखा और अब ग्रामीण महिलाओं को भी इस काम में जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है. झारखंड की लाह की चूड़ियां सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी महिलाओं की पसंद बन रही है और कोडरमा में महिलाएं इन्हीं लाह की चूड़ियों को बनाकर आत्मनिर्भर बन रही है.

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जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित महुआ डोहर की ग्रामीण महिलाएं लाह की चुड़ीयां बना रही हैं. इन चूड़ियों की डिमांड बाजारों में ज्यादा है. लिहाजा महिलाओं को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. वहीं, इन महिलाओं को संबल देने वाली संगीता देवी का कहना है कि उन्होंने एक एनजीओ के जरिए लाह की चूड़ियों को बनाना सीखा था. फिर उन्होंने अपनी ही गाँव की महिलाओ को प्रेरित करके इस काम को अपने घर पर शुरू किया. आज वो महिलाओं का तीन ग्रुप चलाती है, जिसमें कुल 90 माहिलाएं हैं. सभी मिलकर लाह की चूड़ियां बनाती हैं.

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चूड़ियां बनाने के साथ ही गांव में लाह की खेती भी की जाती है. आपको बता दें कि, पूरे जिले में महुआ डोहर एकमात्र ऐसा गांव है, जहां लाह का काम हो रहा है. इससे ना सिर्फ महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है बल्कि वो दूसरी महिलाओं के लिए भी रोजगार के मौके दे रही हैं.

रिपोर्ट : अरुण बर्णवाल