Jharkhand Poll: 19 सालों में कांग्रेस को राज्य में अभी तक न मिली सत्ता की 'चाबी'
वैसे कांग्रेस झारखंड में अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है. मगर राज्य में अभी तक उसे सत्ता हासिल नहीं हो पाई है. कांग्रेस का कोई भी नेता झारखंड सरकार की गद्दी पर नहीं बैठ पाया है.
रांची:
झारखंड में विपक्षी दलों कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का महागठबंधन चुनावी मैदान में उतर चुका है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ कांग्रेस राज्य में एक बार फिर विधानसभा चुनाव हेमंत सोरेन की अगुवाई वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा और राजद के साथ गठबंधन में लड़ रही है. सीट बंटवारे की व्यवस्था के अनुसार, 81 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस जहां 31 सीटों पर चुनावी मैदान में हैं, जबकि झामुमो 43 सीट और आरजेडी 7 सीटों पर ताल ठोक रही है.
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वैसे कांग्रेस झारखंड (Jharkhand Congress) में अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है. मगर राज्य में अभी तक उसे सत्ता हासिल नहीं हो पाई है. कांग्रेस का कोई भी नेता झारखंड सरकार की गद्दी पर नहीं बैठ पाया है. पिछले 3 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस तीसरे और चौथे नंबर की ही पार्टी चुनकर आई. हां, ये बात अलग है कि कांग्रेस के समर्थन से झारखंड में झामुमो सरकार बनाने में सफल हो पाई.
झारखंड के अलग राज्य बनने से बाद पहली बार 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने झामुमो के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. तब कांग्रेस ने 38 सीटों में से 9 और झामुमो ने 43 सीटों में से 17 सीटें जीती थीं. 2009 के विधानसभा चुनाव में यह गठबंधन टूट गया. उस वक्त कांग्रेस ने झारखंड विकास मोर्चा (झावुमो) के साथ गठबंधन दिया. चुनाव में कांग्रेस 54 सीटों पर और झावुमो 25 सीटों पर उतरी. जिनमें से कांग्रेस 14 और झावुमो 11 सीटें जीतने में सफल रहीं.
झारखंड कांग्रेस | |||
वर्ष | कुल उम्मीदवार | जीत | वोट प्रतिशत |
2005 | 38 | 9 | 12% |
2009 | 54 | 14 | 16% |
2014 | 61 | 5 | 10.30% |
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हालांकि 2014 के चुनाव से पहले कांग्रेस ने झामुमो को समर्थन दिया और राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाई. मगर यह दोस्ती ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई. 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा. जिसमें झामुमो राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर निकलकर आई तो कांग्रेस 61 सीटों में से मात्र 5 सीटें ही बचाने में कामयाब हो पाई. लेकिन 2019 में दोनों पार्टियां के बार फिर साथ आ गई हैं और राजद से हाथ मिलाकर चुनावी उखाड़े में उतर गई हैं.
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