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Jharkhand High Court Photograph: (social)
Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट में एक अजीब और चर्चा में रहने वाला फैसला सामने आया है. पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार की हत्या मामले में दो जजों की बेंच ने अलग-अलग राय दी है. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय और जस्टिस संजय प्रसाद की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई थी. एक जज ने दोषियों को बरी कर दिया, जबकि दूसरे ने उनकी फांसी की सजा बरकरार रखी है.
क्या था मामला?
वर्ष 2013 में नक्सलियों ने पाकुड़ में घात लगाकर हमला किया था, जिसमें तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार समेत छह पुलिसकर्मियों की जान चली गई थी. इस मामले में दो नक्सलियों—सुखलाल उर्फ प्रवीर मुर्मू और सनातन बास्की उर्फ ताला दा को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी.
हाईकोर्ट में विरोधाभासी फैसला
इस फैसले के खिलाफ दोनों दोषियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए फांसी की सजा को रद्द कर दिया. उन्होंने कहा कि इस मामले में चश्मदीद गवाहों जैसे कि एसपी के ड्राइवर और बॉडीगार्ड के बयानों में विरोधाभास है, ऐसे में संदेह का लाभ देते हुए दोनों आरोपियों को बरी किया जाता है.
दूसरी ओर, जस्टिस संजय प्रसाद ने राज्य सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए दोनों को दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा. उन्होंने इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला बताया और कहा कि यह देश की कानून-व्यवस्था के खिलाफ गंभीर अपराध है.
अब क्या होगा?
दोनों जजों के बीच मतभेद होने के कारण यह मामला अब झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजा जाएगा. चीफ जस्टिस इस पर निर्णय लेंगे कि इसकी सुनवाई अब किस नई बेंच से कराई जाए.
पीड़ित परिवारों को राहत
जस्टिस संजय प्रसाद ने अपने फैसले में शहीद एसपी के परिवार को 2 करोड़ रुपये मुआवजा और उनके बेटे या बेटी को डीएसपी या डिप्टी कलेक्टर की नौकरी देने का आदेश दिया है. साथ ही, मारे गए अन्य पांच पुलिसकर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये और एक-एक आश्रित को सरकारी नौकरी देने का निर्देश भी दिया.
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