सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सोमवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर माछिल सेक्टर में यह सुनिश्चित करने के लिए अभियान अब भी जारी है कि क्षेत्र में कहीं कोई अन्य आतंकवादी तो मौजूद नहीं है. उत्तरी कश्मीर में कुपवाड़ा जिले के माछिल सेक्टर में रविवार को आतंकवादियों की घुसपैठ को विफल करते समय एक अधिकारी सहित तीन सैन्यकर्मी और बीएसएफ का एक कांस्टेबल शहीद हो गया था.
सुरक्षाबलों ने इस दौरान तीन आतंकवादियों को मार गिराया था. बीएसएफ के अतिरिक्त महानिदेशक सुरिंदर पवार ने कहा, ‘‘अभियान अब भी जारी है. क्षेत्र काफी दुर्गम और ऊंचा-नीचा है. हम स्वयं को इस बारे में संतुष्ट करना चाहेंगे कि वहां कोई आतंकवादी नहीं है.’’ वह शहर के बाहरी इलाके में बीएसएफ एसटीसी, हुमहामा में कांस्टेबल सुदीर सरकार को श्रद्धांजलि अर्पित करने के कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से बात कर रहे थे.
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पवार ने कहा कि यह घुसपैठ का प्रयास था, न कि पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बैट) का हमला. उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों को एक पखवाड़े पहले घुसपैठ के आतंकवादियों के प्रयास के बारे में सूचना मिली थी. पवार ने कहा, ‘‘हमें लगभग 15 दिन पहले सूचना मिली थी कि आतंकवादी घुसपैठ की कोशिश करेंगे. इसलिए हमारी घात लगाकर कार्रवाई करने वाली एवं गश्ती टीम ने क्षेत्र में रात के समय पहरेदारी की.
रात (रविवार को) लगभग एक बजे गश्ती टीम को कुछ संदिग्ध गतिविधियां दिखीं और उसने आतंकवादियों को चुनौती दी. आतंकवादियों ने गोलीबारी कर दी जिससे कांस्टेबल सरकार बुरी तरह घायल हो गए. वह वीरता से लड़े और शहीद होने से पहले एक आतंकवादी को मार गिराया.’’ उन्होंने कहा कि दो अन्य आतंकवादी घटनास्थल से भाग गए और बीएसएफ ने इसकी सूचना अपनी अन्य चौकियों तथा सेना को दी.
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पवार ने कहा, ‘‘रविवार को सुबह होते ही सेना और बीएसएफ ने संयुक्त अभियान शुरू किया जिसमें दो आतंकवादी ढेर कर दिए गए. इस दौरान कैप्टन आशुतोष कुमार और दो अन्य सैनिक शहीद हो गए.’’ इस साल घुसपैठ की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर पवार ने कहा कि इस साल अब तक केवल 24 से 25 आतंकवादी ही नियंत्रण रेखा पार कर भारतीय क्षेत्र में घुस पाए हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 135 से 140 के बीच थी. बीएसएफ अधिकारी ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर लगभग 250-300 आतंकवादी घुसपैठ का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमारी घुसपैठ रोधी ग्रिड काफी मजबूत है और इसकी क्षमताओं में सुधार एक नियमित कवायद है.’’
Source : Bhasha