Shimla News: महिला अफसर के नाम से बने फर्जी फेसबुक अकाउंट, AI से तैयार की आपत्तिजनक तस्वीरें, मामला दर्ज

Shimla News: इस तरह की घटनाएं हाल के दिनों में तेजी से बढ़ रही हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गलत इस्तेमाल से लोगों की निजी तस्वीरों और वीडियोज में बदलाव कर उन्हें आपत्तिजनक रूप में दिखाया जा रहा है.

Shimla News: इस तरह की घटनाएं हाल के दिनों में तेजी से बढ़ रही हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गलत इस्तेमाल से लोगों की निजी तस्वीरों और वीडियोज में बदलाव कर उन्हें आपत्तिजनक रूप में दिखाया जा रहा है.

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Yashodhan.Sharma
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सांकेतिक तस्वीर Photograph: (File photo)

Shimla News: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. यहां एक महिला प्रशासनिक अधिकारी पुलिस के पास पहुंचीं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर कई फर्जी अकाउंट बनाए जाने की शिकायत दर्ज करवाई. अधिकारी ने पुलिस को बताया कि कुछ अज्ञात लोगों ने उनके नाम और तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए कई नकली प्रोफाइल बनाई हैं. इतना ही नहीं, इन फर्जी अकाउंट्स पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से उनकी आपत्तिजनक तस्वीरें भी पोस्ट की गईं. 

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इन धाराओं में मामला दर्ज

महिला थाना बीसीएस ने शिकायत के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 79, 79 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) की धारा 67(ए) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. इस मामले की जांच महिला थाना की प्रभारी अधिकारी कर रही हैं. पुलिस ने कहा है कि साइबर अपराधियों की पहचान के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से तकनीकी डाटा जुटाया जा रहा है.

तेजी से बढ़ रहे मामले

इस तरह की घटनाएं हाल के दिनों में तेजी से बढ़ रही हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के गलत इस्तेमाल से लोगों की निजी तस्वीरों और वीडियोज में बदलाव कर उन्हें आपत्तिजनक रूप में दिखाया जा रहा है. डीपफेक और फेस मॉर्फिंग जैसी तकनीकें मशीन लर्निंग और एआई के जरिए किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या हावभाव को इस तरह बदल देती हैं कि वह असली लगने लगता है. इनका उपयोग अक्सर किसी की प्रतिष्ठा धूमिल करने, बदनाम करने, अफवाह फैलाने या ब्लैकमेलिंग जैसे अवैध कार्यों के लिए किया जा रहा है.

क्या कहते हैं साइबर एक्सपर्ट्स

साइबर एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह तकनीक समाज के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही है. ऐसे फर्जी फोटो और वीडियो न केवल व्यक्तिगत स्तर पर मानसिक तनाव बढ़ाते हैं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भ्रम और अविश्वास का माहौल भी पैदा करते हैं. विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी फोटो या वीडियो पर तुरंत विश्वास न करें और उसकी प्रमाणिकता जांचें. साथ ही, किसी संदिग्ध या भ्रामक सामग्री को बिना सत्यापन सोशल मीडिया पर शेयर या फॉरवर्ड करने से बचें.

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