Himachal Pradesh Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में चल रहा राजनीतिक संकट लगातार गहराता जा रहा है. एक बाद एक इस मामले में अपडेट भी सामने आ रहे हैं. मंगलवार के बाद बुधवार यानी 28 फरवरी का दिन भी सुबह से ही बड़ी-बड़ी हलचलों और बयानबाजियों के बीच आगे बढ़ रहा है. एक तरफ विधायक सस्पेंड हो रहे हैं तो दूसरी तरफ मंत्री इस्तीफे भी दे रहे हैं. राज्यसभा चुनाव के बीच शुरू हुए इस पॉलिटिकल क्राइसिस को लेकर आइए जानते हैं क्या हैं अब तक के बड़े अपडेट.
हिमाचल प्रदेश में बजट सत्र की शुरुआत
बुधवार 28 फरवरी की सुबह से ही हिमाचल प्रदेश में बजट सत्र की शुरुआत हुई. इस बजट सत्र के हंगामेदार होने के आसार पहले से ही लगाए जा रहे थे, क्योंकि मंगलवार के दिन राज्यसभा चुनाव के दौरान जिस तरह क्रॉस वोटिंग हुई थी उससे लग रहा था कि बजट सत्र हंगामेदार ही होगा. हुआ भी ऐसा ही कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों के बीच जोरदार हंगामा हुआ. इस बीच बीजेपी के कई विधायक व्हेल तक पहुंच गए.
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बीजेपी के 14 विधायक सस्पेंड
हिमाचल प्रदेश में चल रहे विधानसभा सत्र के बीच बुधवार को स्पीकर की ओर से सबसे बड़ा कदम उठाया गया. स्पीकर कुलदीप पठानिया ने सदन की कार्यवाही के बीच भारतीय जनता पार्टी के 14 विधायकों को निलंबित कर दिया. स्पीकर ने इस कदम के पीछे उनके साथ ही की गई बदसलूकी को बताया. स्पीकर ने आरोप लगाए कि इन विधायकों ने उनके साथ न सिर्फ बदसलूकी की बल्कि गाली गलौज भी की है. लिहाजा उन्हें निलंबित करने का आदेश दिया गया.
किन नेताओं को किया गया सस्पेंड
मिली जानकारी के मुताबिक स्पीकर की ओर जिन विधायकों को सस्पेंड किया गया है उनमें पूर्व सीएम जयराम ठाकुर, रणधीर शर्मा, लोकेंद्र कुमार, विनोद कुमार, डॉ. जनक राज, बलबीर वर्मा, त्रिलोक जम्वाल, सुरेंद्र शौरी, विपिन सिंह परमार, दीप राज, पूर्ण ठाकुर, इंद्र सिंह, दिलीप सिंह और रणबीर सिंह प्रमुख रूप से शामिल हैं.
बीजेपी ने जताई नाराजगी
विधायकों के निलंबन को लेकर बीजेपी की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है. केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनुराग ठाकुर ने कहा है कि विधायकों का निलंबन राजनीति से प्रेरित नजर आ रहा है. सदन में विधायकों के बीच हंगामा हो रहा था, लेकिन सिर्फ बीजेपी के विधायकों को ही निलंबित किया या है जो बताता है कि यह पूरा मामले राजनीति से प्रेरित है.
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विक्रमादित्य ने दिया इस्तीफा
एक तरफ विधायकों को निलंबित किया या तो वहीं दूसरी तरफ मंत्री विक्रमादित्य ने भी भावुक होते हुए इस्तीफा दे दिया. विक्रमादित्य ने प्रेस वार्ता के जरिए मीडिया से बातचीत में अपने पिता वीरभद्र को याद किया और भावुक होते हुए कहा- पूरा चुनाव उनके पिता वीरभद्र के नाम पर लड़ा गया और जनता ने कांग्रेस के अपना जनमत भी दिया. लेकिन जिस व्यक्ति के नाम पर कांग्रेस ने सरकार बनाई उनकी मूर्ति लगाने के लिए शिमला के मॉल रोड पर 2 गज की जमीन तक अलॉट नहीं की गई. ये काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. इस वजह से विक्रमादित्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि उन्होंने कहा कि जिन हालातों में हमारी सरकार बनी मैंने कभी भी पद की लालसा नहीं जताई थी, लेकिन अब पिता की अनदेखी के चलते मैं पद छोड़ रहा हूं. इसको लेकर आलाकमान को भी जानकारी दे दी गई है.
हालांकि उन्होंने राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि जनता ने जिन्हें जनमत दिया है उसका सम्मान किया जाना चाहिए.
Source : News Nation Bureau