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गुजरात: बड़ी संख्या में सूरत छोड़कर जा रहे हीरा उद्योग में काम करने वाले मजदूर

कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के मद्देनजर सूरत में हीरा इकाइयों के बंद हो जाने से इनमें काम करने वाले मजदूर हर रोज शहर छोड़कर जा रहे हैं

Updated on: 09 Jul 2020, 04:32 PM

सूरत:

कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के मद्देनजर सूरत में हीरा इकाइयों के बंद हो जाने से इनमें काम करने वाले मजदूर हर रोज शहर छोड़कर जा रहे हैं. हीरा के कारोबार से जुड़े लोगों ने यह दावा किया है. सूरत डायमंड वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष जयसुख गजेरा ने कहा, उन्हें डर है कि शहर छोड़ने वाले 70 फीसदी कामगार कभी वापस न आ सकें. सूरत में हीरा तराशने वाली नौ हजार से अधिक इकाइयों में छह लाख से अधिक लोग काम करते हैं. ये इकाइयां मार्च के अंत से जून के पहले सप्ताह तक बंद रहीं. लेकिन, जून के दूसरे सप्ताह में व्यावसायिक गतिविधियां फिर से शुरू होने के बाद से 600 से अधिक मजदूर और उनके परिजन कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये हैं.

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एहतियात के तौर पर, सूरत नगर निगम ने इस हफ्ते की शुरुआत में हीरा तराशने वाली इकाइयों को 13 जुलाई तक बंद रखने का आदेश दिया था. सूरत लक्जरी बस ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश अंधान ने दावा किया कि हर रोज सूरत से करीब छह हजार लोगों को लेकर औसतन 300 बसें सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के लिये रवाना हो रही हैं, जहाँ से ये मजदूर काम की तलाश में यहां आये थे. उन्होंने बताया, 'प्रतिदिन लगभग छह हजार मजदूर इन बसों से शहर छोड़ रहे हैं. इनके अलावा लगभग चार हजार लोग हर दिन कारों, ट्रकों और अन्य वाहनों में जा रहे हैं. कई अपने सामान के साथ जा रहे हैं.’

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इस बारे में जब सूरत के नगर आयुक्त बंचनिधि पाणि से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास शहर छोड़ने वालों के आंकड़े नहीं हैं। हालांकि, अंधान ने कहा कि वे दिवाली की छुट्टियों के दौरान शहर छोड़ने वाले लोगों की तुलना में अधिक भीड़ देख रहे हैं. हीरा तराशने वाली इकाइयां अब बंद हो गयी हैं, ऐसे में जो मजदूर किराये के मकानों में रह रहे थे, वे अपनी आजीविका बनाये रखने में असमर्थ हैं. उन्होंने दावा किया कि कारीगर लगभग चार महीनों से बेरोजगार हैं और उम्मीद है कि निकट भविष्य में स्थिति में सुधार होगा। लगभग 1,500 परिवार अपने सामान के साथ हर दिन मिनी ट्रक में अपने मूल स्थानों के लिये रवाना हो रहे हैं.