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13 साल बाद आज अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट के दोषियों को मिलेगी सजा

16 जुलाई 2008 में 20 मिनट के भीतर गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में कुल 21 धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 200 अन्य घायल हुए थे.

Updated on: 09 Feb 2022, 12:02 AM

highlights

  • 13 साल पुराने इस मामले पर कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया
  • ट्रायल में अभियोजन ने 1100 गवाहों से सवाल-जवाब किए थे
  • ट्रायल के दौरान करीब 26 गवाहों को स्टार विटनेस माना गया था

 

नई दिल्ली:

अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में अदालत बुधवार को दोषियों को सजा सुनाएगी. मंगलवार को अदालत के विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने ने 49 लोगों को दोषी और 28 आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था. अदालत को इस निर्णय तक पहुंचने में करीब 13 साल का लंबा वक्त लगा. एक दशक से भी ज्यादा समय तक चले ट्रायल में अभियोजन ने 1100 गवाहों से सवाल-जवाब किए थे. खास बात है कि सुरक्षा कारणों के चलते इस संवेदनशील मामले की शुरुआती सुनवाई साबरमती सेंट्रल जेल में हुई और अधिकांश कार्यवाही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई. ट्रायल के दौरान करीब 26 गवाहों को स्टार विटनेस माना गया था. अदालत के साथ-साथ अभियोजन पक्ष ने भी इनकी सुरक्षा के लिए पहचान छिपाने के लिए विशेष प्रावधान सुनिश्चित किए थे.

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16 जुलाई 2008 में 20 मिनट के भीतर गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद में कुल 21 धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी जबकि करीब 200 अन्य घायल हुए थे. अदालत ने पिछले साल सितंबर में इस मामले के कुल 77 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई पूरी की थी. अहमदाबाद में हुए धमाकों के तार प्रतिबंधित संगठन हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े हुए थे और दिसंबर 2009 में कुल 78 लोगों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई थी. बाद में एक आरोपी के सरकारी गवाह बन जाने के बाद कुल अभियुक्तों की संख्या 77 रह गई. वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता ने बताया कि चार आरोपियों की गिरफ्तारी बाद में हुई थी और उनके मामलों की सुनवाई अब भी पूरी होनी बाकी है.

उल्लेखनीय है कि करीब 13 साल पुराने इस मामले पर कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया. अदालत ने 49 को दोषी करार दिया है. मामले में ट्रायल बीते साल सितंबर में खत्म हो गया था. विशेष न्यायाधीश एआर पटेल ने इस हाईप्रोफाइल मामले में अपना फैसला सुनाया. हालांकि, इससे पहले भी कई बार फैसले के लिए अधिसूचित किया गया था, लेकिन बाद में स्थगित कर दिया गया था.