Ram Mandir Bhoomi Pujan: आखिरकार आ ही गया वो पल जिसका सदियों से था इंतजार

5 अगस्त को राम मंदिर (Ram Mandir) का भूमि पूजन होने जा रहा है. इसके साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य भी शुरू हो जाएगा लेकिन इस कार्य को पूरा करने के लिए लंबा संघर्ष हुआ. 1989, 1990 और फिर 1992 में भी मंदिर निर्माण की कोशिशें हुई.

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Kuldeep Singh
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Ram Mandir Bhoomi Pujan: आखिरकार आ गया वो पल जिसका सदियों से था इंतजार( Photo Credit : फाइल फोटो)

5 अगस्त को राम मंदिर (Ram Mandir) का भूमि पूजन होने जा रहा है. इसके साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य भी शुरू हो जाएगा लेकिन इस कार्य को पूरा करने के लिए लंबा संघर्ष हुआ. 1989, 1990 और फिर 1992 में भी मंदिर निर्माण की कोशिशें हुई. कारसेवा के लिए लाखों लोग अयोध्या (Ayodhya) पहुंचे लेकिन कानूनी अड़चनों के चलते मंदिर निर्माण में वर्षों का समय लग गया. इस लंबे संघर्ष के गवाह रहे कुछ लोग अब भी उस संघर्ष को याद करके भावुक हो जाते है. युवा अवस्था मे इस आंदोलन से जुड़े रामकृष्णन श्रीवास्तव अब रिटायर हो चुके है.

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35 साल से इस संघर्ष से जुड़े इटावा के रहने वाले रामकृष्ण श्रीवास्तव बताते है की कैसे वो 6 लोगों की टोली बना कर 1990 में गुड़ चने खाते हुए अयोध्या पहुंचे और फिर उस गोली कांड की याद करके रामकृष्ण आज भी सिहर उठते है. श्रीवास्तव के मुताबिक जब अयोध्या में गोली चली वे वहां मौजूद थे और उस भगदड़ में छुपते छुपाते मध्यप्रदेश के भिंड तक पहुंच गए क्योंकि दिल्ली आने वाले हर रास्ते पर जबरदस्त पहरा था. कार सेवकों की कई यादें इस लंबे संघर्ष से जुड़ी हैं.

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80 साल के ओम प्रकाश सिंघल बताते है की कैसे वो इस आंदोलन से जुड़े ओर उसके बाद दिल्ली आने वाले हर साधु संत को वो अपने घर मे ठहराया करते थे. ओम प्रकाश सिंघल ऐसे कारसेवक है जिनका नाम अयोध्या में निमंत्रित गेस्ट लिस्ट में भी है. सिंघल बताते हैं कि 35 साल इस आंदोलन में वो अशोक सिंघल के साथ साथ रहे और जब बाबरी मस्जिद का ढाँचा गिरने के बाद राम चबूतरे पर भी उन्हीं ने संतों के साथ पूजा करने का मौका तक मिला. 400 साल से अधिक समय से चली आ रही लंबी लड़ाई खत्म हो गई और अब इन कार सेवकों की मानें तो मन्दिर का निर्माण होना किसी सपने के पूरे होने जैसा प्रतीत होता है.

Source : News Nation Bureau

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