मनोज तिवारी का दिल्ली BJP अध्यक्ष पद से छुट्टी, हटाने के पीछे ये 5 वजहें हो सकती हैं
दिल्ली सांसद मनोज तिवारी (Manoj tiwari) को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. उसने छिनकर यह पद आदेश कुमार गुप्ता (Adesh kumar gupta) को दिया गया है.
नई दिल्ली:
दिल्ली सांसद मनोज तिवारी (Manoj tiwari) को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. उसने छिनकर यह पद आदेश कुमार गुप्ता (Adesh kumar gupta) को दिया गया है. आखिर मनोज तिवारी को इस पद से क्यों हटाया गया. बीजेपी ने आखिर क्यों मनोज तिवारी को हटाने का निर्णय लिया.
दिल्ली विधानसभा चुनाव हारने के बाद मनोज तिवारी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी. लेकिन बीजेपी ने इसे नामंजूर कर दिया था. लेकिन कोरोना प्रसार से पैदा हुई गंभीर स्थिति में ऐसी क्या वजह रही कि मनोज तिवार को बीजेपी ने इतना पड़ा झटका दे दिया. चलिए जानते हैं पांच वजह जिससे मनोज तिवारी की अध्यक्ष पद की कुर्सी चली गई.
1.मनोज तिवारी लॉकडाउन की उड़ाई थी धज्जियां
दिल्ली चुनाव में हार के बाद मनोज तिवारी राजनीति को लेकर गंभीर नजर नहीं आए. लॉकडाउन में उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया. वो हरियाणा में एक एकेडमी में क्रिकेट खेलने चले गए. मोदी सरकार हर शख्स से अपील कर रही है कि घरों में रहिए, वैसे में उनका एक सांसद लॉकडाउन का उल्लंघन करके क्रिकेट खेलता नजर आया. यह अच्छा संदेश नहीं गया.
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2.कोरोना काल में भी उतरे थे प्रदर्शन के लिए
मनोज तिवारी ने कोरोना काल में ही केजरीवाल सरकार के खिलाफ सार्वजनिक प्रदर्शन करने के लिए राजघाट पर पार्टी वर्कर्स के साथ गए थे. ये भी उन्हें पार्टी अध्यक्ष पद से हटाए जाने के संकेत हो सकते हैं.
3.दिल्ली विधानसभा चुनाव हारने की जिम्मेदारी
दिल्ली विधानसभा चुनाव बीजेपी ने मनोज तिवारी के नेतृत्व में लड़ा था. मनोज तिवारी की चुनावी रणनीतिक कमजोर नजर आई. बीजेपी नेताओं की बयानबाजी वायरल होने के बाद भी चुनावों में मनोज तिवारी की चुनावी समीकरणों को जिम्मेदार माना जा रहा था. इसलिए दिल्ली हारने की जिम्मेदारी उनपर आई. उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की. लेकिन मनोज तिवारी के मुकाबले बेहतर चेहरा ढूंढने के लिए बीजेपी ने उन्हें हटाया नहीं. चार महीने की तलाश के बाद जब बीजेपी को वो चेहरा आदेश गुप्ता के रूप में मिला तो मनोज तिवारी को हटा दिया गया.
5.बीजेपी का प्रयोग नहीं हुआ सफल
मनोज तिवारी को लेकर बीजेपी ने जैसा सोचा था वैसा परिणाम नहीं आया. क्योंकि मनोज तिवारी बीजेपी के जमीनी नेता नहीं थे. वो एक सिलेब्रिटी नेता था, पूर्वांचल के वोटर को लुभाने के लिए उन्हें लाया गया था. बीजेपी में ज्यादातर देखा गया है कि वो वैसे नेता को चुनती है जिनका जुड़ा पार्टी से पुराना हो. वो पार्टी के लिए सालों से काम कर रहे हैं. बीजेपी ने पहले भी ऐसा एक प्रयोग किया था जिसमें किरण बेदी को पार्टी से जोड़कर सीएम उम्मीदवार घोषित किया था. लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हुआ. मनोज तिवारी को लेकर किया गया प्रयोग थोड़ा सफल तो हुआ लेकिन इस बार के चुनाव में वो जादू नहीं दिखाई दिया. मनोज तिवारी को अध्यक्ष पद से हटाये जाने को भी इसी क्रम में देखना चाहिए.
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5.एमसीडी चुनाव पर बीजेपी का फोकस
मनोज तिवारी को हटाने के पीछे एक वजह नगर निगम चुनाव भी है. बीजेपी दिल्ली-पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी तीनों ही नगर निगमों पर कब्जा जमाये हुए है और अगले MCD चुनाव 2022 में होने हैं. ऐसे में मनोज तिवारी की बजाए स्थानीय राजनीति को अच्छे से समझने वाले एक नेता को दिल्ली में अध्यक्ष के पद पर लाना जरूरी था.
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