दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को सार्वजनिक सड़कों और गलियों में आवारा कुत्तों को हटाने के उद्देश्य से उनके पुनर्वास के संबंध में एक नीतिगत निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह निर्देश न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 80 वर्षीय प्रतिमा देवी की ओर से 2023 में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.
अदालत ने कहा कि आवारा कुत्तों के पुनर्वास के लिए नीति बनाना दिल्ली सरकार, एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) और एडब्ल्यूबीआई (भारतीय पशु कल्याण बोर्ड) के समन्वित प्रयासों से लिया जाना चाहिए. मामले की संवेदनशीलता और आवारा कुत्तों से जुड़ी लगातार घटनाओं के कारण आम जनता के सामने आने वाली समस्या की गंभीरता को देखते हुए, उच्च न्यायालय ने मामले को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनएनसीटीडी) के मुख्य सचिव को भेज दिया है.
आश्रय स्थल के आसपास ही छोड़ दिया जाएगा
अदालत को दिल्ली नगर निगम, भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के संबंधित अधिकारियों और याचिकाकर्ता के प्रतिनिधि के बीच हुई एक संयुक्त बैठक के बारे में भी बताया गया. इस बैठक में अधिकारियों ने निर्णय लिया था कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित किए बिना आश्रय स्थल के आसपास ही छोड़ दिया जाएगा. हालांकि, उच्च न्यायालय का मानना है कि कुत्तों की बड़ी संख्या को देखते हुए टीकाकरण और नसबंदी के बाद उन्हें सड़कों पर छोड़ना इस मामले में उचित समाधान नहीं है.
200 आवारा कुत्ते एक अस्थायी आश्रय गृह में रह रहे
अदालत ने आवारा कुत्तों द्वारा काटने की कई घटनाओं को उजागर करते हुए इस तथ्य पर ध्यान दिया कि करीब 200 आवारा कुत्ते एक अस्थायी आश्रय गृह में रह रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि इन आवारा कुत्तों को खुले में छोड़ने से गंभीर समस्याएं पैदा होंगी. इसके अनुसार, कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों से आवारा कुत्तों के पुनर्वास के लिए नीति बनाने को कहा. इस मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी.
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