बड़ी खबर : 29 दिन बाद खुला सिंघु गांव का रास्ता, दिल्ली पुलिस ने हटाई बैरिकेडिंग
Farmer Protest : सिंघु गांव का जो रास्ता खोला गया है वह सिर्फ गांव से एनएच-1 की तरफ आने वाले वाहनों के लिए ही खोला गया है. इस रास्ते के खुलने के बाद सिंघु गांव से दो पहिया वाहन या कार आदि नेशनल हाईवे 1 पर अब इस रास्ते से आ सकते हैं.
नई दिल्ली:
किसान आंदोलन के कारण पिछले दो महीने से परेशानी झेल रहे सिंघु गांव के लोगों के लिए राहत भरी खबर है. सिंघु गांव में आने वाले लोगों के लिए पीछे फिरनी गांव की तरफ से रास्ता खोला गया है. सिंघु गांव का जो रास्ता खोला गया है वह सिर्फ गांव से एनएच-1 की तरफ आने वाले वाहनों के लिए ही खोला गया है. इस रास्ते के खुलने के बाद सिंघु गांव से दो पहिया वाहन या कार आदि नेशनल हाईवे 1 पर अब इस रास्ते से आ सकते हैं. इस रास्ते के खोले जाने के बाद भी लोगों को सिंघु गांव में जाने के लिए पीछे वाले फिरनी रास्ते से सिंघोला गांव से होते हुए ही आना होगा.
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ट्रैक्टर रैली से पहले किया था रास्ता बंद
कृषि कानूनों के विरोध में 26 जनवरी को निकाली गई ट्रैक्टर रैली में मचे उपद्रव के बाद सिंघु बॉर्डर से लगने वाले मुख्य मार्ग को दिल्ली पुलिस की ओर से बंद कर दिया गया था. इसकी वजह से सिंघु गांव में आने जाने वाले लोगों को बेहद परेशानी हो रही थी. स्थानीय लोगों ने कई बार पुलिस से इस रास्ते को खोले जाने की मांग भी की थी. मंगलवार रात दिल्ली पुलिस ने सिंघु गांव के रास्ते को खोल दिया. यह रास्ता लाल किले पर हुई हिंसा के बाद बंद कर दिया गया था.
इस रास्ते के खोले जाने के बाद भी लोगों को सिंघु गांव में जाने के लिए पीछे वाले फिरनी रास्ते से सिंघोला गांव से होते हुए ही आना होगा. बता दें रास्ता बन्द होने से सिंघु गांव सहित आसपास के दर्जनों गांव के लोग परेशान थे. अब इस रास्ते के खुलने के बाद ग्राम वासियों के साथ-साथ आस-पास के गांव वालों को भी आने जाने में परेशानी कम होगी. दिल्ली पुलिस ने इस रास्ते को पत्थरों की बड़ी-बड़ी बैरिकेडिंग के साथ-साथ कटीले तारों आदि से बंद किया हुआ था. अब रास्ता खुलने के बाद लोगों को आने-जाने में काफी राहत मिल रही है.
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गौरतलब है कि किसान आंदोलन (Kisan Andolan) : केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 91वें दिन में प्रवेश कर गया है. कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान धरना दे रहे हैं. अब पूरा आंदोलन राजनीति के चंगुल में फंसता दिख आ रहा है. विपक्ष किसानों के मसले पर वोट साधने की कोशिश में लगा है. विपक्षी पार्टियां किसानों के नाम पर वोट के लिए पंचायतें कर रही हैं तो किसान नेता भी अब देशभर में घूम घूमकर जनसभाएं कर रहे हैं. अब किसानों के मुख से कृषि कानूनों की खिलाफत कम, जबकि सरकार विरोधी ज्यादा बातें निकल रही हैं. हालांकि इस सब के बीच सरकार भी अपनी बात पर अड़ गई है. वो कानूनों को वापस लेने के पक्ष में नहीं है.
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