Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने एक अहम फैसले में बैंकिंग, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) और गैस आपूर्ति को 'सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं' (Public Utility Services) की श्रेणी में शामिल करने की मंजूरी दे दी है. इस निर्णय का मकसद आम लोगों को इन क्षेत्रों से जुड़ी शिकायतों का त्वरित, सरल और कम खर्च में समाधान उपलब्ध कराना है.
लोक अदालतों से होंगे निपटारे
अब इन तीनों सेवाओं से जुड़े विवादों का निपटारा स्थायी लोक अदालतों (Permanent Lok Adalats) के माध्यम से किया जा सकेगा. इससे लोगों को पारंपरिक अदालतों की लंबी और खर्चीली प्रक्रिया से राहत मिलेगी. लोक अदालतों में मामलों का निस्तारण बिना किसी वकील के भी संभव है और फैसले जल्दी लिए जाते हैं.
कानून विभाग की सिफारिश पर लिया गया फैसला
दिल्ली सरकार के कानून विभाग की सिफारिश पर यह फैसला लिया गया है. विभाग के अनुसार, हाल के वर्षों में बैंकिंग और गैस आपूर्ति से जुड़ी शिकायतों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. इनमें ऋण वसूली, निवेश संबंधित विवाद, सेवा की गुणवत्ता और बिलिंग जैसी समस्याएं शामिल हैं. ऐसे मामलों को लोक अदालतों में ले जाने से आम जनता को राहत मिलने के साथ-साथ कोर्ट पर भी बोझ कम होगा.
ये है खासियत
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित होगा, जो महंगे वकीलों और लंबे मुकदमों का खर्च नहीं उठा सकते. लोक अदालतों की खासियत यही है कि यहां प्रक्रिया सरल होती है और निर्णय जल्द सुनाए जाते हैं.
फिलहाल, दिल्ली में तीन स्थायी लोक अदालतें निजी बिजली कंपनियों से जुड़े विवादों का निपटारा कर रही हैं. अब इन नई सेवाओं को जोड़ने के बाद दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (DSLSA) की ओर से और भी लोक अदालतों की स्थापना की योजना पर काम किया जा रहा है. ये अदालतें भविष्य में परिवहन, टेलीकॉम, जल आपूर्ति, स्वास्थ्य और बीमा जैसी सेवाओं से जुड़े विवादों का भी समाधान कर सकेंगी.
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