Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा में मौजूद है ये खतरनाक धातु, बीते सालों में आई गिरावट के बावजूद खतरा बरकरार

Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा प्रदूषित ही नहीं बल्कि इसमें एक खतरनाक धातु भी मौजूद है. जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. दरअसल, पुणे स्थित आईआईआईटीएम के शोध में पता चला है कि दिल्ली की हवा में पारा भी मौजूद है.

Delhi Air Pollution: दिल्ली की हवा प्रदूषित ही नहीं बल्कि इसमें एक खतरनाक धातु भी मौजूद है. जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है. दरअसल, पुणे स्थित आईआईआईटीएम के शोध में पता चला है कि दिल्ली की हवा में पारा भी मौजूद है.

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Suhel Khan
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Delhi Air Pollution 16 September

दिल्ली की हवा में मौजूद है पारा Photograph: (Social Media)

Delhi Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की हवा हर साल अक्टूबर के महीने में बेहद जहरीली हो जाती है. यही नहीं अन्य महीनों में भी राजधानी की हवा लगभग जहरीली बनी रहती है. इस बीच एक रिपोर्ट आई है. जिसमें कहा गया है कि दिल्ली की हवा सिर्फ प्रदूषित है बल्कि इसमें स्वास्थ्य के लिए हानिकारक धातुएं भी मौजूद हैं. इनमें पारा भी शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली की हवा में पारे का स्तर दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है. हालांकि, शोध में अच्छा संकेत भी मिला है. जिसके तहत पिछल कुछ सालों में दिल्ली की हवा में पारे का स्तर धीरे-धीरे कम भी हो रहा है.

दिल्ली की हवा पर 6 साल तक किया शोध

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दरअसल, पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IIITM) ने छह साल तक किए एक शोध में पाया है कि दिल्ली की हवा में पारा सबसे अधिक है. बता दें कि पारा एक जहरीली धातु है जो तंत्रिका तंत्र, गुर्दे और हृदय के लिए बेहद खतरनाक होता है. इस शोध में राजधानी दिल्ली, अहमदाबाद और पुणे की हवा की तुलना की गई. जिसके नतीजे और भी चौंकाने वाले आए हैं. शोध में पता चला है कि दिल्ली में पारे का स्तर 6.9 नैनोग्राम प्रति घन मीटर है.

वहीं अहमदाबाद में ये सिर्फ 2.1 और पुणे में 1.5 नैनोग्राम प्रति घन मीटर पारा गया है. इस लिहाज से राजधानी दिल्ली में पारे का स्तर वैश्विक स्तर से 13 गुना अधिक पाया गया है. इस शोध में ये भी पता चला है कि इन तीनों शहरों में 72 प्रतिशत से 92 फीसदी तक पारा पारा कोयला जलाने, यातायात और उद्योगों जैसी मानवीय गतिविधियों के चलते पैदा होता है. वहीं सर्दियों के दिनों में रात के समय पारे की मात्रा में इजाफा होता है. जो कोयला, पराली जलाने या स्थिर मौसम की वजह से होता है.

इन आंतरिक अंगों को पहुंच सकता है भारी नुकसान

राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान बैंगलोर के अध्यक्ष प्रोफेसर गुफरान बेग के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ के अनुसार पारा जन स्वास्थ्य के लिए 10 खतरनाक रसायनों में से एक है. उनका कहना कहना है कि अगर लगातार पांच से दस साल तक कम मात्रा में भी सांस के द्वारा से शरीर में जाता रहे तो ये बेहद खतरनाक हो सकता है. क्योंकि लंबे समय तक पारे की मौजूदगी वाली हवा में सांस लेने से तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र, प्रतिरक्षा प्रणाली, गुर्दे और फेफड़ों को भारी नुकसान पहुंचता है. इसके साथ ही आईआईआईटीएम के वैज्ञानिकों का दावा है कि हाल के वर्षों में दिल्ली की हवा में पारे के स्तर में धीरे-धीरे कमी आई है.

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