दिल्ली-एनसीआर की सबसे बड़ी गौशाला में गोवंशों के भूखे मरने की नोबत आ गयी है. इस गौशाला में बने अस्पताल की व्यवस्था भी चरमरा गई है और इसके पीछे की वजह है दिल्ली नगर निगम की तरफ से फंड का ना मिलना. कंझावला की इस श्री कृष्ण गौशाला में 9 हज़ार गोवंशों को सहारा दिया गया है. 2006 में निगम को इस गौशाला को 20 रुपये प्रति गाय के हिसाब से भुगतान का आदेश दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया था, लेकिन इन गायों की बदकिस्मती देखिये कि निगम ने जून 2017 से इनको मिलने वाली 20 रुपये की राशि का भुगतान नहीं किया, जो अब 18 करोड़ पहुंच गई है.
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यही वजह है कि यहां चल रहा अस्पताल भी बंद होने की कगार पर है. गोवंश के इस अस्पताल में रोजाना 8 से 10 गायों का इलाज होता है. जिसके लिए आईसीयू से लेकर लैब की व्यवस्था तक की गई है. लेकिन इस अस्पताल के इंचार्ज अरुण गौतम के मुताबिक, अनुदान राशि ना मिलने के कारण यहां की मेडिकल व्यवस्था चरमरा गई और अगर अब यहां किसी पशु की मौत होती है तो उसका ज़िम्मेदार प्रशासन होगा.
इन गोवंशियों पर रोज़ाना 106 रुपये के करीब का खर्चा आता है. ट्रस्ट के मैनेजर वीरेंद्र ध्यानी बताते हैं कि पहले 1 साल का भोजन इनके पास स्टॉक में रहता था और अब ये स्टॉक 5 से 6 दिन का रह गया है और ऐसी स्थिति बनी रही तो ये लोग इन 9 हज़ार गोवंश को सड़क पर छोड़ने पर बेसहारा छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे.
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हालांकि 3 साल से निगम की राशि ना देने के न्यूज़ नेशन के सवाल पर उत्तरी निगम के मेयर जयप्रकाश जेपी ने माना कि मामला संवेदनशील है और जल्द ही गौशाला को ग्रांट राशि दे दी जाएगी. हालांकि आश्वासन तो पहले भी दिए गए और गायों को लेकर राजनीति भी कोई नई बात नहीं है. लेकिन इस बार निगम की खींचतान में बात गोवंश के जीवन पर बन आई है.
Source : News Nation Bureau