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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ कांग्रेस में और बढ़ी कलह, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव एकांतवास में गए

Chhattisgarh Congress Crisis: छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जारी वर्चस्व की लड़ाई लगातार बढ़ती जा रही है. स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) एकांतवास में चले गए हैं. वह छत्तीसगढ़ विधानसभा के मॉनसून सत्र में भी शामिल नहीं होंगे.

Updated on: 28 Jul 2021, 12:32 PM

highlights

  • कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने लगाया था हमले का आरोप
  • पीएल पुनिया ने दो बार फोन कर मनाने की कोशिश की
  • मानसून सत्र में शामिल ना होने का भी लिया फैसला

रायपुर:

पंजाब में कैप्टन और सिद्धू के बीच की कलह अभी दूर ही हो पाई है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस (Chhattisgarh Congress Crisis) में इन दिनों सियासी महाभारत का दौर चल रहा है. कांग्रेस विधायक ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव  पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इसके बाद से ही वह एकांतवास में चले गए हैं. यहां तक कि उन्होंने किसी से भी मिलने से इनकार कर दिया है. वह मीडिया से भी बात नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह के आरोपों के बाद उन्होंने मानसून सत्र में शामिल ना होने का भी फैसला लिया है. 

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कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव बड़ा आरोप लगाते हुए दावा किया था कि वह किसी भी समय उन पर जानलेवा हमला करवा सकते हैं. बृहस्पति सिंह के आरोपों पर टीएस सिंह देव ने नाराजगी जाहिर की और सदन छोड़ दिया. इतना ही नहीं वह बृहस्पति सिंह के बयानों से इतना आहत हुए कि उन्होंने सदन में ना जाने का फैसला कर लिया. कुछ नेताओं ने बृहस्पति सिंह को पार्टी से निष्काषित करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी है.

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टीएस सिंह देव की नाराजगी के बाद कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने उनसे फोन पर बात भी की लेकिन वह मानने को राजी नहीं है. अपने ही विधायक के आरोपों और उस पर पार्टी के स्टैंड के कारण सिंहदेव बेहद दुखी हैं. टीएस सिंहदेव कल रात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बुलाई पार्टी विधायकों और मंत्रियों की बैठक में भी नहीं पहुंचे थे. इसके अलावा उन्‍होंने मीडिया से बातचीत करने से इनकार कर दिया था.

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इससे पहले राजस्थान कांग्रेस में भी सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच रार की खबरें सामने आ रही है. गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पायलट दिल्ली पहुंच चुके हैं. बताया जा रहा है कि सचिन पायलट गुट के कुछ विधायकों को मंत्री पद दिया जा सकता है. वहीं गहलोत मंत्रिमंडल से कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी की जा सकती है.