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भारत पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के एजेंडे में अफगानिस्तान टॉप पर, क्या होगा कोई बड़ा समझौता?

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन 2 दिन के दौरे पर दिल्ली पहुंचे हैं. आज एंटनी ब्लिंकेन पीएम मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर और एनएसए डोभाल से मुलाकात करेंगे.

Updated on: 28 Jul 2021, 10:52 AM

नई दिल्ली:

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा पर आ चुके हैं. उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकातें होनी है. सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में अफगानिस्तान के हालात को लेकर बातचीत हो सकती है. अफगानिस्तान में भीषण युद्ध छिड़ा हुआ है. तालिबान पर अफगानिस्तान पर कब्जा करने की सनक सवार है. वह लगातार आतंकी घटनाओं को अंजाम दे रहा है. पिछले दिनों भारतीय फोटो जर्नलिस्ट की हत्या भी उसी का अंजाम था. भारत और अमेरिका के लिए बड़ी फिक्र है. भारत और अमेरिका इस मामले के हल के लिए एक-दूसरे के और करीब आ सकते हैं. 

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अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन 2 दिन के दौरे पर दिल्ली पहुंचे हैं. आज उनकी पीएम मोदी, विदेश मंत्री जयशंकर, और एनएसए डोभाल से मुलाकात होनी है. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के भारत दौरे में बातचीत के एजेंडे में अफगानिस्तान टॉप पर है. जानकारी के मुताबिक एंटनी ब्लिंकेन के इस दौरे पर कोई बड़ा समझौता हो सकता है, क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान से सेनाओं को हटाने के बाद अमेरिका चाहता है कि भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाए, जिससे अफ़ग़ानिस्तान में भी जल्द स्थिरता आ सके. अमेरिका को लगता है कि भारत अफग़ानिस्तान में सामान्य हालात की बहाली के लिए आखिरी प्रयास कर सकता है और तालिबान को हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए राज़ी किया जा सकता है.

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यकीनन इस भरोसे के पीछ भारत का बढ़ता कद है. अमेरिकाऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे ताकतवर देशों के साथ क्वाड में भारत शामिल है. वहीं आज के हालात में दक्षिण एशिया में भारत अमेरिका का सबसे करीबी सहयोगी भी है. ऐसे में कल ये स्पष्ट हो जाएगा कि अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका के पास क्या प्रस्ताव है और भारत का उस प्रस्ताव पर क्या स्टैंड है. लेकिन एक बात तो तय है कि भारत हमेशा से ही हिंसक तरीके से अफग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने का विरोध करता रहा है. भारत ने ये पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सत्ता परिवर्तन में अफग़ानिस्तान के आम लोगों की भागीदारी और उनकी राय का सम्मान किया जाना चाहिए जो फिलहाल होता नहीं दिख रहा. हर दिन अफगानिस्तान में खूनी संघर्ष की तस्वीर डरावनी होती जा रही है. ना आम लोग सुरक्षित हैं ना महिलाएं. ना बच्चे.