नवादा सदर अस्पताल का हाल, शव को पाव भाजी के ठेले पर ले जाने को मजबूर हुए परिजन
परिजनों द्वारा एंबुलेंस की मांग शव को ले जाने के लिए की गई लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं मुहैया कराई गई. अंत में परिजनों ने शव को पावभाजी के ठेले पर लादकर अस्पताल से ले जाया गया.
highlights
- सदर अस्पताल नवादा का हाल
- ना एंबुलेंस और ना अच्छे से इलाज
- ठेले पर परिजनों को ले जाना पड़ा शव
- अस्पताल प्रशासन बोला-'नहीं है कोई जानकारी'
Nawada:
एक तरफ बिहार के डिप्टी सीएम सह स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव सूबे के स्वास्थ्य महकमें को सुधारने का बीड़ा उठाए हुए हैं और लापरवाही बरतने पर डॉक्टर्स के खिलाफ कई बार कार्रवाई भी कर चुके हैं लेकिन नवादा का सदर अस्पताल प्रबंधन सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. अक्सर अपनी कारगुजारियों को लेकर चर्चा में रहने वाला नवादा का सदर अस्पताल एक बार फिर से सुर्खियों में है. कारण ये है कि एक शख्स की तबियत अचानक खराब हो जाती है और उसे उपचार के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया जाता है और 55 वर्षीय शख्स की मौत हो जाती है. परिजनों द्वारा बार-बार एंबुलेंस की मांग शव को ले जाने के लिए की गई लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं मुहैया कराई गई. अंत में परिजनों ने शव को पावभाजी के ठेले पर लादकर अस्पताल से ले जाया गया.
ये भी पढ़ें-शराबबंदी वाले बिहार का हाल, शराबी ने मंत्री तेज प्रताप की गाड़ी में मारी टक्कर
मिली जानकारी के मुताबिक, गढ़पर मोहल्ला के निवासी 55 वर्षीय सदैव प्रसाद बिहारी की तबियत खराब होने पर उन्हें ठेले पर ही सदर अस्पताल लाया गया था. उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई लेकिन शव को ले जाने के लिए एक बार फिर से परिजनों को ठेले का ही इस्तेमाल करना पड़ा, क्योंकि उन्हें अस्पताल प्रशासन द्वारा एंबुलेंस तक नहीं मुहैया कराया गया.
ये भी पढ़ें-BSSC Paper Leak: सरकार के संरक्षण में हो रहा सारा खेल, मामले की CBI करे जांच-विजय सिन्हा
वहीं, मामले में सदर अस्पताल के प्रबंधन अनिल कुमार का बेतुका बयान सामने आया है. पूरे राज्य में ये खबर आग की तरह फैल गई लेकिन अस्पताल प्रबंधक अनिल कुमार का कहना था कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है.
ये भी पढे़ं-शराबबंदी कानून पर 'अपने' ही उठा रहे सवाल, जेडीयू नेता बोगो सिंह ने बताया 'कानून को फेल'
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या ऐसे ही स्वस्थ बिहार का सपना साकार होगा? क्या इसी को अच्चे स्वास्थ्य का अधिकार कहा जाता है? क्या तेजस्वी यादव के निर्देशों और मिशन 60 के तहत सदर अस्पतालों का ऐसे ही कायाकल्प हो रहा है? क्या इसे ही अच्छा स्वास्थ्य महकमा कहा जाएगा जहां मरीजों के लिए एंबुलेंस ना हो, शव को ले जाने के लिए शव वाहन अथवा एंबुलेंस ना हों?
रिपोर्ट: अमृत गुप्ता
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य