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एक हो गए तेजस्वी यादव और चिराग पासवान! दोनों ने चुनाव की तैयारियों में लगे नीतीश कुमार को घेरा

आरजेडी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव और लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के सुर एक हो गए हैं. दोनों ने चुनावी तैयारियों में लगे नीतीश कुमार को घेरा है. अब सवाल ये उठ रहा है कि दोनों के सुर क्या बिहार में एनडीए का राग बिगाड़ने वाला है.

Updated on: 11 Jul 2020, 11:39 AM

पटना:

आरजेडी नेता तेजस्वी प्रसाद यादव और लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के सुर एक हो गए हैं. दोनों ने चुनावी तैयारियों में लगे नीतीश कुमार को घेरा है. अब सवाल ये उठ रहा है कि दोनों के सुर क्या बिहार में एनडीए का राग बिगाड़ने वाला है. तेजस्वी ने चिराग पासवान की खबर को रिट्वीट किया है. दरअसल कल दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी की बैठक हुई थी. बैठक में चिराग पासवान ने कहा था कि बिहार में अभी चुनाव कराने का सही वक्त नहीं है. बिहार में कोरोना का संकट लगातार गहराता जा रहा है. लिहाजा सरकार और सारे प्रशासनिक तंत्र को सबसे पहले कोरोन से निपटने और लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए. इसके बाद राजद के प्रवक्ता ने कहा कि हम चिराग के साथ हैं और इसको लेकर बीजेपी में तिलमिलाहट है.

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तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार पर साधा था निशाना

वहीं इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि शवों पर चुनाव कराने वाला मैं अंतिम व्यक्ति होऊंगा. यदि नीतीश कुमार स्वीकार करते हैं कि COVID अभी भी एक संकट है तो चुनाव को स्थगित किया जा सकता है. जब तक कि स्थिति में सुधार नहीं हो जाता. लेकिन अगर उन्हें लगता है कि COVID एक समस्या नहीं है तो चुनाव पारंपरिक तरीकों से होने चाहिए. इस महामारी को संभालने में नीतीश सरकार की विफलता के कारण लोगों में अराजकता और असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है. ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें कोई शमन और शमन रणनीति नहीं है. नए मामलों में तेजी से वृद्धि चिंताजनक है. इस संकट ने नीतीश सरकार के कुकर्मों को अंदर से बाहर कर दिया है.

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दोनों ने नीतीश कुमार पर किया हमला

वहीं इस मामले में चिराग पासवान ने कहा कि चुनाव आयोग को भी इस विषय पर सोच कर निर्णय लेना चाहिए. कहीं ऐसा ना हो कि चुनाव के कारण एक बड़ी आबादी को ख़तरे में झोंक दिया जाए. इस महामारी के बीच चुनाव होने पर पोलिंग पर्सेंटेज भी काफ़ी नीचे रह सकते हैं. जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. कोरोना के प्रकोप से बिहार ही नहीं पूरा देश प्रभावित है. कोरोना के कारण आम आदमी के साथ साथ केंद्र व बिहार सरकार का आर्थिक बजट भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में चुनाव से प्रदेश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों ने इस विषय पर चिंता जताई है.