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प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर कसा तंज, बोले- ये चुनाव नहीं करोना से लड़ने का वक्त है

बिहार में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. साथ ही मृतकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. इसको लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि देश के कई राज्यों की तरह बिहार में भी करोना की स्थिति बिगड़ती जा रही है, लेकिन सरकारी तंत्र और संसाधनों का एक

Updated on: 11 Jul 2020, 11:16 AM

पटना:

बिहार में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. साथ ही मृतकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. इसको लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि देश के कई राज्यों की तरह बिहार में भी करोना की स्थिति बिगड़ती जा रही है, लेकिन सरकारी तंत्र और संसाधनों का एक बड़ा हिस्सा चुनाव की तैयारियों में लगा है. उन्होंने नीतीश कुमार से चुनाव ना कराने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि ये चुनाव नहीं करोना से लड़ने का वक़्त है. लोगों की ज़िंदगी को चुनाव कराने की जल्दी में ख़तरे में मत डालिए.

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तेजस्वी ने नीतीश कुमार पर साधा निशाना

वहीं इस मामले को लेकर तेजस्वी यादव ने भी नीतीश कुमार पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा कि शवों पर चुनाव कराने वाला मैं अंतिम व्यक्ति होऊंगा. यदि नीतीश कुमार स्वीकार करते हैं कि COVID अभी भी एक संकट है तो चुनाव को स्थगित किया जा सकता है. जब तक कि स्थिति में सुधार नहीं हो जाता. लेकिन अगर उन्हें लगता है कि COVID एक समस्या नहीं है तो चुनाव पारंपरिक तरीकों से होने चाहिए. इस महामारी को संभालने में नीतीश सरकार की विफलता के कारण लोगों में अराजकता और असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है. ऐसा प्रतीत होता है कि इसमें कोई शमन और शमन रणनीति नहीं है. नए मामलों में तेजी से वृद्धि चिंताजनक है. इस संकट ने नीतीश सरकार के कुकर्मों को अंदर से बाहर कर दिया है.

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चिराग-तेजस्वी के सुर एक

वहीं इस मामले में चिराग पासवान और तेजस्वी यादव के सुर एक हो गए हैं. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को भी इस विषय पर सोच कर निर्णय लेना चाहिए. कहीं ऐसा ना हो कि चुनाव के कारण एक बड़ी आबादी को ख़तरे में झोंक दिया जाए. इस महामारी के बीच चुनाव होने पर पोलिंग पर्सेंटेज भी काफ़ी नीचे रह सकते हैं. जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. कोरोना के प्रकोप से बिहार ही नहीं पूरा देश प्रभावित है. कोरोना के कारण आम आदमी के साथ साथ केंद्र व बिहार सरकार का आर्थिक बजट भी प्रभावित हुआ है. ऐसे में चुनाव से प्रदेश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. संसदीय बोर्ड के सभी सदस्यों ने इस विषय पर चिंता जताई है.