Solar Street Light Yojana: बिहार सरकार की ओर से सुशासन के तहत शुरू की गई मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना अब राज्य के गांवों को रोशन करने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर और सुरक्षित बनाने की दिशा में मजबूत कदम साबित हो रही है. इस योजना के जरिए सरकार स्वच्छ और समृद्ध गांव की परिकल्पना को साकार करने में जुटी है.
अब तक इस योजना के तहत राज्यभर में 6 लाख से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई जा चुकी हैं. यह न सिर्फ योजना की सफलता को दर्शाता है, बल्कि ग्रामीण विकास के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी दिखाता है.
तकनीक से निगरानी
इस योजना की एक खास बात यह है कि इसके संचालन और निगरानी के लिए ब्रेडा (BREDA) के माध्यम से एक केंद्रीकृत मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया गया है. यह प्रणाली खराब लाइट की पहचान कर संबंधित एजेंसी को तुरंत सूचना देती है, जिससे 72 घंटे के भीतर मरम्मत का कार्य पूरा करना अनिवार्य होता है. तय समय में मरम्मत न होने पर एजेंसी पर प्रति दिन प्रति लाइट ₹10 का जुर्माना लगाया जाता है.
कारण बताओ नोटिस जारी
हालांकि, योजना के तीसरे चरण में कुछ चुनौतियां भी सामने आई हैं. राज्य सरकार ने समय पर काम पूरा न करने और अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन करने पर 17 एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. पंचायती राज विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि ये एजेंसियां 7 दिनों के भीतर अपना स्पष्टीकरण नहीं देती हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
तय होगी एजेंसियों की जवाबदेही
योजना को और प्रभावी बनाने के लिए सरकार हर 10,000 सोलर लाइट पर एक सर्विस स्टेशन की स्थापना करेगी, जिससे मरम्मत और देखभाल का कार्य सुचारु रूप से हो सके. साथ ही, हर लाइट पोल पर एक व्हाट्सएप नंबर अंकित किया जाएगा, जिससे ग्रामीण नागरिक सीधे शिकायत दर्ज करा सकें. इससे न केवल लोगों को सुविधा मिलेगी, बल्कि एजेंसियों की जवाबदेही भी तय होगी. इस योजना से स्पष्ट है कि सरकार गांवों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही को भी बढ़ावा दे रही है.
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