Patna News: केंद्र सरकार के विशेष पैकेज की घोषणा के बाद बिहार में विकास की गति को नई दिशा मिली है. डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से राज्य में कौशल विकास, कृषि, मत्स्य पालन और भंडारण जैसी कई योजनाएं सफलतापूर्वक पूरी हो चुकी हैं, जबकि कुछ योजनाएं अब अंतिम चरण में हैं.
कौशल विकास से युवाओं को मिली नई उड़ान
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के तहत बिहार में 1 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसे पार करते हुए 6.33 लाख से ज्यादा युवाओं को ट्रेनिंग दी गई. इस पर कुल 508.40 करोड़ रुपये खर्च किए गए. वहीं, बिजली क्षेत्र में भी 11,894 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया, जिस पर 14.75 करोड़ रुपये खर्च हुए.
कृषि और अनुसंधान में बड़ा निवेश
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पूसा को केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा दिया है. मोतिहारी में एकीकृत खेती प्रणाली पर राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है, जिसकी लागत 62.25 करोड़ रुपये रही है. इससे किसानों को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने में मदद मिली है.
मत्स्य पालन में ‘ब्लू रेवोल्यूशन’ का असर
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत राज्य में तालाब, बीज पालन केंद्र और मछुआरों के घर बनाए गए. इन योजनाओं पर 31.96 करोड़ रुपये खर्च हुए. साथ ही 5.13 करोड़ की लागत से मत्स्य रोग परीक्षण केंद्र और खुदरा मछली बाजार जैसी योजनाएं जल्द पूरी होंगी.
कृषि यंत्रीकरण और सिंचाई को बढ़ावा
राज्य में जल प्रबंधन के तहत 32,577 हेक्टेयर में सूक्ष्म सिंचाई की व्यवस्था की गई है, जिसकी लागत 165.96 करोड़ रुपये रही है. वहीं, कृषि यंत्रीकरण के लिए 117.67 करोड़ रुपये खर्च किए गए. हालांकि बीज परियोजना की 16.7 करोड़ की राशि सरकार को लौटानी पड़ी.
भंडारण क्षमता में भी हुई वृद्धि
राज्य में 25 स्थानों पर 2.84 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले गोदाम बनाए गए हैं, जिस पर 247.64 करोड़ रुपये खर्च हुए. साथ ही दरभंगा, समस्तीपुर और कटिहार में 1.5 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो बनाए गए हैं.
इन सभी प्रयासों से बिहार में विकास की रफ्तार तेज हुई है. विशेष पैकेज के जरिये राज्य को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने में बड़ी मदद मिली है.
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