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नीतीश कुमार 16 नवंबर को ले सकते हैं शपथ, 7वीं बार बनेंगे मुख्यमंत्री

बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद अब सभी की निगाहें अगली सरकार के गठन पर टिकी हैं.

Updated on: 12 Nov 2020, 01:20 PM

पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को बहुमत मिलने के बाद अब सभी की निगाहें अगली सरकार के गठन पर टिकी हैं. ऐसी संभावना है कि दीपावली के बाद अगले हफ्ते में नई सरकार का गठन हो सकता है. जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे. सूत्रों ने बताया है कि दिवाली के बाद 16 नवंबर से लेकर 18 नवंबर के बीच नीतीश कुमार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. हालांकि नीतीश कुमार नवंबर के अंत में वर्तमान सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के मद्देनजर वह राज्यपाल को इस्तीफा भेज सकते हैं.

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नीतीश कुमार 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे. नीतीश इस पद पर अभी तक 14 साल 82 दिन तक रह चुके हैं. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नीतीश का नाम पिछले दो दशकों में 7 बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने की विशिष्ट श्रेणी में आ जाएगा. बिहार में अभी तक सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड श्रीकृष्ण सिंह के नाम पर है, जो इस पद पर 17 वर्ष 52 दिन तक रहे थे.

नीतीश ने सबसे पहली बार साल 2000 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी,लेकिन बहुमत के लिए जरूरी विधायकों का समर्थन नहीं मिलने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था. साल 2005 में राजग को पूर्ण बहुमत मिलने पर कुमार मुख्यमंत्री बने। साल 2014 में लोकसभा चुनाव में जदयू के खराब प्रदर्शन को देखते हुए नैतिक आधार पर कुमार ने मुख्यमंत्री पद त्याग दिया था. हालांकि एक वर्ष से भी कम समय में वह सत्ता में वापस लौटे.

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साल 2015 में नीतीश कुमार के जदयू और लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, जिसे जीत हासिल हुई थी. हालांकि, तब तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का नाम धनशोधन के मामले में सामने आने पर उन्होंने जुलाई 2017 में इस्तीफा दे दिया था.कुमार ने हालांकि अगले दिन ही भाजपा के सहयोग से नई सरकार बना ली थी.

इस बार के बिहार विधानसभा चुनाव में बेहद रोमांचक मुकाबले में विपक्ष की कड़ी चुनौती को पार करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने 243 सीटों में से 125 सीटों पर कब्जा कर बहुमत हासिल किया है, जबकि महागठबंधन के खाते में 110 सीटें आई हैं. बीजेपी की 74 और जदयू की 43 सीटों के अलावा सत्तारूढ़ गठबंधन के साझेदारों में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को चार और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार सीटें मिली हैं.

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वहीं, विपक्षी महागठबंधन में राजद को 75, कांग्रेस को 19, भाकपा माले को 12 और भाकपा एवं माकपा को दो-दो सीटों पर जीत मिली है. राजग से अलग होकर अकेले चुनाव मैदान में उतरी चिराग पसवान की लोक जनशक्ति पार्टी एक सीट पर ही जीत हासिल कर सकी है.