नीतीश के पुराने सारथी शरद यादव की जेडीयू में वापसी की अटकले, संपर्क में बड़े नेता
साल 2018 में नीतीश कुमार के साथ राजनैतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने जेडीयू से अपना रुख कर लिया था. जेडीयू से बगावत के बाद शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी एक अलग पार्टी बनाई थी. शरद यादव के अली अनवर और कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी.
नई दिल्ली:
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी सियासी पार्टियां अपना-अपना समीकरण बनाने में लग गई है. वहीं, सीएम नीतीश कुमार समीकरण साधने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. यहीं वजह है कि वह हरसंभव समीकरण बनाने में जुटे हैं. तभी तो नीतीश कुमार के पुराने दोस्त शरद यादव के साथ तार जोड़ने की कवायद तेज हो गई हैं. जेडीयू के कई नेता शरद यादव से पार्टी में वासपी के लिए संपर्क में हैं. माना जा रहा है कि जल्द ही शरद यादव की जेडीयू में शामिल हो सकते हैं.
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दरअसल, साल 2018 में नीतीश कुमार के साथ राजनैतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने जेडीयू से अपना रुख कर लिया था. जेडीयू से बगावत के बाद शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी एक अलग पार्टी बनाई थी. शरद यादव के अली अनवर और कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी. पिछले कुछ दिनों से शरद यादव की तबीयत खराब चल रही है, उनका दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है. सूत्रों के मुताबिक शरद यादव की तबीयत को लेकर जेडीयू के कई बड़े नेताओं ने उनका हालचाल जानने के लिए उनसे संपर्क साधा. इसी दौरान पार्टी में दोबारा वापसी पर बात आगे बढ़ाई गई. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले शरद यादव जेडीयू में शामिल हो सकते हैं.
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जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन शरद यादव की जेडीयू में सीधे एंट्री के तौर पर कुछ नहीं बोल रहे, लेकिन इशारों में संकेत जरूर दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि शरद समाजवादी आंदोलन के एक बड़े नेता हैं, पर आधिकारिक तौर पर अभी फिलहाल हमारे पास उनके पार्टी में वापस शामिल होने की कोई जानकारी नहीं है. इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि महागठबंधन में शरद यादव घुटन महसूस कर रहे हैं और ऐसे में वह कोई निर्णय लेते हैं तो वह चौंकाने वाला नहीं होगा.
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बता दें कि शरद यादव की बिहार की चुनावी राजनीति में 1991 में इंट्री हुई थी, जब वे मधेपुरा संसदीय सीट पर चुनाव लड़ की लोकसभा पहुंचे थे. वे यहां से 1996,1999 और 2009 में भी चुने गये. 1999 में शरद ने लालू प्रसाद को करीब 30हजार वोटों से हराया था. 1998 व 2004 में लालू प्रसाद ने उन्हें हरा दिया था. 2019 लोकसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़े, लेकिन जेडीयू के दिनेश्वर यादव से 1 लाख वोटों से हार गए.
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