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News State Explainer: मोतिहारी शराबकांड... NHRC का नोटिस... कार्रवाई कब? 

बिहार में साल 2016 से शराबबंदी कानून लागू है, लेकिन इसके बावजूद खुलेआम शराब की बिक्री होती है. जिस कारण कई लोगों की जान चली जाती हैं.

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Shailendra Shukla
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नोटिस जारी, एक्शन कब?( Photo Credit : न्यूज स्टेट बिहार झारखंड)

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बिहार में साल 2016 से शराबबंदी कानून लागू है, लेकिन इसके बावजूद खुलेआम शराब की बिक्री होती है. जिस कारण कई लोगों की जान चली जाती हैं. मोतिहारी में जहरीली शराब कांड में अब तक 40 लोगों की मौत हो गई है. अब इस मामले में बिहार सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली है. पुलिस महानिदेशक को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के तरफ से नोटिस जारी कर दिया गया है. जिसमें बिहार सरकार से कई सवाल किये गए हैं. राज्य सरकार से रिपोर्ट भी मांगी गई है. सबसे पहले हम आपको वह बताते हैं कि एनएचआरसी द्वारा जो नोटिस जारी किया गया है उसमें आखिर लिखा क्या है?

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NHRC का नोटिस 

नई दिल्ली, 19 अप्रैल, 2023

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने 16 अप्रैल, 2023 को बिहार के विभिन्न जिलों में जहरीली शराब के सेवन से कई मौतों, यहां तक कि विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे लोगों की मौत की खबरें अभी भी आ रही हैं, पर एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है.

कथित जहरीली शराब त्रासदी पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर मामले में छह सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. इसमें पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी की स्थिति, अस्पताल में भर्ती पीड़ितों का चिकित्सा उपचार और पीड़ित परिवारों को दिया गया मुआवजा, यदि कोई हो, शामिल होना चाहिए. आयोग इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानना चाहेगा.

नोटिस जारी करते हुए, आयोग ने मीडिया रिपोर्ट की सामग्री पर गौर किया है, यदि सही है तो, ये इंगित करती है कि राज्य सरकार, प्रथम दृष्टया, अप्रैल, 2016 से बिहार में लागू अवैध/नकली शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगाने की अपनी नीति के कार्यान्वयन में पर्याप्त रूप से ध्यान नहीं दे रही है. इस तरह की बेरोकटोक शराब त्रासदी की घटनाओं का लगातार घटित होना एक गंभीर मुद्दा है जिससे हाशिए के लोगों के जीवन के अधिकारों का हनन हो रहा है.

यह उल्‍लेखनीय है कि दिसंबर 2022 में भी, बिहार में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत की सूचना मिली थी, और आयोग ने मीडिया रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लेने के बाद मामले की जांच के लिए अपनी टीम भेजी थी. वह मामला पहले से ही आयोग के विचाराधीन है.

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मीडिया के जरिए NHRC तक पहुंचती है खबरें

अब जरा एनएचआरसी की नोटिस का थोड़ा विश्लेषण कर लेते हैं. अधिकतर मामलों में आयोग नोटिस जारी करके सिर्फ खानापूर्ति ही करता है. दूसरे शब्दों में अगर कहे तो ये नोटिस राज्य सरकार के लिए कोई विशेष दिक्कत नहीं पैदा करती. अधिकतर नोटिसों का जवाब पहले से ही एनएचआरसी के पास मीडिया के जरिए पहुंचता रहता है ऐसे में नोटिस जारी करना महज एक औपचारिकता ही होती है. बस एक स्वायत्व संस्था का मामले में नाम और जुड़ जाता है. अब बिहार सरकार को जारी किए गए ताजा नोटिस को ही ले लीजिए. इसमें पहले पैराग्राफ में सिर्फ इतना लिखा गया है कि मीडिया रिपोर्ट्स को आयोग द्वारा स्वत: संज्ञान लिया गया है. यानि कि मीडिया ने जो दिखाया उसी के आधार पर आयोग द्वारा नोटिस जारी कर दिया गया है. अब आखिरी पैराग्राफ पर ध्यान देंगे तो पाएंगे कि दिसंबर 2022 में भी मोतिहारी की तरह छपरा में जहरीली शराब पीने से 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. उस बार भी मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर ही आयोग द्वारा बिहार सरकार को नोटिस जारी किया गया था और जवाब तलब किया गया था.

ये भी पढ़ें-जहरीली शराब कांड में बिहार सरकार की बढ़ी मुश्किलें, NHRC ने नोटिस किया जारी

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पहले से अधिकतर सवालों का होता है जवाब

अब जरा ताजा नोटिस के दूसरे पैराग्राफ पर नजर डाल लेते हैं. इसमें सबसे पहली बात 6 सप्ताह के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है. दूसरी बात पुलिस द्वारा एफआईआर जो दर्ज की गई है उसकी जानकारी मांगी गई है, पीड़ित परिवार को मुआवजा देने से जुड़ी जानकारी मांगी गई, पीड़ितों की चिकित्सा से जुड़ी जानकारी मांगी गई है और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी गई है. यानि कि आयोग द्वारा उन्ही चीजों की जानकारी मांगी गई है जिसका उत्तर पहले से ही सरकार के पास है. जाहिर सी बात है एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. एफआईआर दर्ज करके कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है. कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड किया जा चुका है. शराब कांड के पीड़ितों का इलाज अस्पताल में चल रहा है. वहीं, मुआवजे का भी सीएम नीतीश कुमार द्वारा विपक्ष के दवाब में ही सही, एलान किया जा चुका है.

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मामला विचाराधीन ही रहता है...

अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर एनएचआरसी ने बिहार सरकरा से नया व कठिन सवाल क्या किया है? नोटिस जारी कर सिर्फ खानापूर्ति की गई है. जवाब देकर बिहार सरकार खानापूर्ति कर लेगी. दो-चार पत्र इधर-उधर भेजे जाएंगे और एनएचआरसी द्वारा निर्धारित किया गये 6 सप्ताह के अंदर बिहार सरकार जवाब भी दे देगी और समय के साथ छपरा शराब कांड की तरह मोतिहारी शराब कांड भी दबकर रह जाएगा. फिर कोई नया मुद्दा आ जाएगा और फिर कोई नई नोटिस जारी की जाएगी और फिर को नया जवाब. हंगामा होगा, हल्ला होगा, विपक्ष पीड़ित के साथ सहानुभूति जताएगा, फोटो खिचवाएगा और अगले दिन फिर नए मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर हो जाएगा. एनएचआरसी जवाब लेकर संतुष्ट हो जाएगा और जैसा कि ताजे नोटिस में एनएचआरसी ने लिखा है कि दिसंबर 2022 वाला मामला भी विचाराधीन है उसी तरह अप्रेल 2023 वाला यानि मोतिहारी वाला मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा. 

ये भी पढ़ें-छपरा शराब कांड: 70 से ज्यादा लोगों की मौत, जनता के सवालों का कौन देगा जवाब?

क्या ये सवाल नहीं कर सकता एनएचआरसी?

-बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद शराब दूसरे राज्यों से कैसे आ जाती है?
-राज्य की सीमाओं पर चौकसी क्यों नहीं है, क्यों तस्कर अपने इरादे में कामयाब हो जाते हैं?
-तस्करों की कामयाबी के पीछ कहीं पुलिस और उत्पाद विभाग का तो हाथ नहीं है?
-अगर शराबबंदी कानून धरातल पर लागू नहीं हो पा रही तो इसे निरस्त क्यों नहीं किया जाता?
-जहरीली शराब बनने व उसके इस्तेमाल की सूचना पर LIU (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) को भनक क्यों नहीं लगती?
-जहरीली शराब से होनेवाली मौतों के लिए सरकार को क्यों ना माना जाये जिम्मेदार?
-अगर सरकार शराबबंदी कानून को धरातल पर लागू नहीं कर पा रही है तो लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यों कर रही है?
-क्या शराब कांड के पीड़ितों का इलाज कराकर ही सरकार की जिम्मेदारी खत्म हो जाएगी?

16 दिसंबर 2022 को छपरा कांड में NHRC बिहार सरकार को जारी कर चुका है नोटिस

इसी तरह का नोटिस NHRC द्वारा 16 दिसंबर 2022 को छपरा शराब कांड को लेकर भी जारी किया था. उसमें भी एनएचआरसी द्वारा लगभग यही सवाल बिहार सरकार से पूछे गए थे. तब तो सीएम नीतीश कुमार ने मुआवजा देने से भी मना कर दिया था, हालांकि अब विपक्ष के दवाब में आकर मुआवजा देने का एलान कर दिया है. 

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ये जानना भी जरूर है

अब बात करते हैं एनएचआरसी के द्वारा लिए जाने वाले एक्शन की समय सीमा के बारे में. एनएचआरसी किसी भी घटना, मामले का महज घटना के घटित होने के 2 साल के अंदर ही संज्ञान ले सकता है. यानि कि 2 साल के बाद एनएचआरसी के हाथ में नोटिस भेजना भी नहीं रह जाता और कोई भी घटना घटित होती है तो उसका जवाब, एनएचआरसी का नोटिस पहुंचने से पहले ही लगभग तैयार रहता है, बस उसे सुंदर और अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए जवाब भेज दिया जाता है.

HIGHLIGHTS

  • NHRC के नोटिस में नहीं दिख रहा कोई दम
  • अधिकांश सवालों के जवाब पहले से ही हैं नीतीश सरकार के पास
  • छपरा शराब कांड का मामला अभी भी है NHRC में है विचाराधीन
  • बड़ा सवाल-NHRC के नोटिस का क्या मतलब बनता है?

Source : Shailendra Kumar Shukla

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