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एनजीटी ने बिहार सरकार की रेत खनन नीति के खिलाफ याचिका खारिज की

एनजीटी ने गुरुवार को बिहार सरकार की रेत खनन नीति के खिलाफ दायर आवदेनों को खारिज कर दिया.

Updated on: 13 Dec 2019, 11:51 AM

नई दिल्ली:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गुरुवार को बिहार सरकार की रेत खनन नीति के खिलाफ दायर आवदेनों को खारिज कर दिया. यह नीति सरकार को रेत खनन के लिए नदी के एक समान तल को दो हिस्सों में कृत्रिम तरीके से विभाजित करने की अनुमति देती है. अधिकरण के न्यायिक सदस्य एसपी वांगडी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 'बिहार रेत खनन नीति 2019' उच्चतम न्यायालय की ओर से दिए गए दिशानिर्देशों और 'दीर्घकालिक रेत खनन प्रबंधन दिशानिर्देश 2016' के अनुकूल है.

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आवेदक ने तर्क दिया था कि नीति बनाते समय राज्य ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किस शक्ति के आधार पर उसने यह किया. इस पर एनजीटी ने कहा, 'ऐसा लगता है कि राज्य की नीति बनाने, आदेश जारी करने, प्रशासनिक नियम बनाने, परिपत्र और निर्देश आदि जारी करने के स्वाभाविक अधिकार को नजर अंदाज किया गया. वह अपने कार्यकारी शक्ति का इस्तेमाल कर ऐसा कर सकती है जबतक कि वे संवैधानिक एवं कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करते हों.' पीठ ने कहा कि हमें 2019 कर नीति में कोई गलती या कमी नहीं दिखाई देती जैसा कि आवेदक ने रेखांकित किया गया है.

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उधर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिहार के गोपालगंज में स्थित सासामुसा चीनी मिल बंद करने का आदेश दिया है. मिल पर प्रदूषित जल, गैस उत्सर्जित करने का आरोप है. बोर्ड ने प्रदूषण नियंत्रित करने के बाद मिल को चालू करने की इजाजत दी है.