logo-image

G-20 शिखर सम्मेलन बिहार के लिए क्यों है महत्वपूर्ण, यहां समझिए

G-20 शिखर सम्मेलन को हम वैसे तो भारत के लिए वैश्विक मंच पर मजबूत साख स्थापित करने के अवसर के तौर पर देख सकते हैं.

Updated on: 09 Dec 2022, 06:04 PM

Patna:

G-20 शिखर सम्मेलन को हम वैसे तो भारत के लिए वैश्विक मंच पर मजबूत साख स्थापित करने के अवसर के तौर पर देख सकते हैं, लेकिन इसे भारत के हर राज्य के लिए अपनी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत, प्राकृतिक संसाधन और सौंदर्य के साथ सामाजिक परंपरा, अपनी अदभुत विभिन्नता को वैश्विक पहचान दिलाते हुए एक भारत श्रेष्ठ भारत में राज्यवार भागीदारी दर्ज कराने के अवसर के तौर पर देख सकते हैं. जो किसी स्पेश्ल स्टेट्स के कम नहीं आंका जा सकता. यहां हम साफ कर दें की हम राजनीतिक रूप से चर्चा का विषय रहे स्पेश्ल स्टेट्स की बात नहीं कर रहे, जिसमें राज्य को कुछ विशेष वित्तीय सहयोग और योजनाओं की सूची में थोड़ी वरीयता भर मिल जाना हो, बल्कि हम बात कर रहे हैं बिहार के उस स्पेश्ल स्टेट्स की, उस विशिष्टता की जो उसकी हमेशा से रही थी, है और रहेगी.

यह भी पढ़ें- कुढ़नी में हुई हार की तेजस्वी ने बताई वजह, कहा - 'ये हार कोई बड़ी हार नहीं'

बिहार में क्या खास
ऐसे में हम बिहार की भूमिका की बात करें तो प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में तैयारियों को लेकर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में बिहार से नीतीश कुमार या पार्टी प्रमुख ललन सिंह के शामिल न होने को लेकर शुरुआत राजनीतिक नोक-झोंक से हुई. इस बात को लेकर बीजेपी ने ताने मारे, पर बात बिहार की हो और राजनीति ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. हालांकि राजनीति अपनी जगह और बिहार की ऐतिहासिक, सांसकृतिक, सामाजिक, राजनीतिक, विशिष्टता अपनी जगह है.

लोकंतत्र की जननी बिहार का राजनीति उठापटक का भी व्यापक इतिहास राजशाही के लेकर लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत रहा है. यहां हर नुक्कड़ पर राजनीति के जानकारों का जमावड़ा लगा रहता है, लेकिन ये इतना ही है ऐसा नहीं है. लोकतंत्र की जननी, बिहार की भूमी दुनिया को जनभागीदारी का संदेश दे सकती है. चक्रवर्ती सम्राटों के साम्राज्य के भग्नावषेश ये संदेश दे सकते हैं कि समय के साथ विकास प्रकृति के साथ तालमेल नहीं बिठाता तो उसकी भव्यता कितनी भी क्यों ना हो, विनाश तय होता है.

गांधी की महात्मा बनने की यात्रा का बिहार एक महत्वपूर्ण पड़ाव रहा है, जहां से दुनिया को कपट और जंग के बजाए सत्य और शांति की सीख मिलती है. बिहार बुद्ध व महावीर की धरती है, जो ज्ञान प्राप्त कर समाज को नई दिशा देने के जीवित प्रमाण रहे हैं, और मगध का इतिहास तो मानवीय सभ्यता के उन्नती के सर्वोच शिखर को प्राप्त करने की हमारी क्षमता को प्रदर्शित करता है. इन सब के साथ माता सीता के सबल को समेटे बिहार विष्णुपद में मोक्ष प्राप्ती के मार्ग तक की यात्रा पूर्ण करता है. बिहार की इस विरासत से दुनिया को परिचित कराने का सुनहरा अवसर है, G-20 शिखर सम्मेलन.

भारत के लिए सवर्णिण अवसर
G-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता का अवसर वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रखने वाले भारत को मिला है. ये जहां वैश्विक प्रभाव रखने वाले देशों के लिए विकासक्रम में चुनौती बने वैश्विक समस्याओं के समभाव, सर्वसुलभ और सार्वभौम समाधान तलाशने का सुअवसर प्रदान करता है, तो वहीं भारत को अपनी संस्कृति, प्रकृति के साथ सहजीवी सिद्धांत, मजबूत राजनीतिक आर्थिक सामाजिक विरासत को विश्व के सामने रखते हुए कथित मॉर्डन समस्याओं के ट्रेडिशनल समाधान का अवसर प्रदान करता है। भारत के लिए वैश्विक शक्तियों का आतिथ्य एक ऐसे अवसर के रूप में आया है, जो कायाकल्प को तैयार भारत को अपने पंख फैलाने का, उनकी चमक के दुनिया को चकाचौंध करने का, उनकी मजबूती का एहसास कराने का और साथ ही उंची उड़ान को संकल्पित 140 करोड़ लोगों के सपनों को साकार करने की इच्छाशक्ति प्रदर्शित करने का सही अवसर है.

आपदा काल से उबर रहे भारत के लिए ये वैश्विक जिम्मेदारी आपदा में प्राप्त अवसर सदृश है, जो संपेरों के देश की बनाई गई छवि के आवरण को तोड़ सोने की चिंड़िया वाली छवि स्थापित करने का अवसर है.

बिहार के लिए सुनहरे अवसर
इस सोने की चिड़िंया के चमकीले पंख के तैर पर देश के हर राज्य के सामने अपनी चमक वैश्विक मंच पर बिखेरने का अवसर प्रदान करने वाला है. 1 दिसंबर को जब देश को शिखर सम्मेलन की औपचारिक अध्यक्षता मिली तो वैश्विक मानचित्र पर भारत के 100 स्मारकों की चमक बिखरी, नागालैंड के हॉर्नबिल उत्सव से पूरी दुनिया पूर्वोत्तर के प्राकृतिक सैंदर्य और पुरातन संस्कृति से परिचित हुए. केंद्र सरकार इस अवसर को मेगा इवेंट के तौर पर मनाने के लिए हर राज्य में विदेशी डेलिगेट्स की बैठकों के साथ आतिथ्य के लिए कार्यक्रम तैयार कर रही है. इस उद्देश्य के साथ कि इससे उस स्थान की विशेषता से विश्व परिचित हो.

इस कड़ी में जब हम बिहार की बात करते हैं तो बिहार के लिए देश के सभी राज्यों के बीच स्पेशल स्टेटस प्राप्त करने से मौके से कम नहीं मान सकते. राजधानी पटना, गया जी, बोधगया, राजगृह, सीतामढ़ी, मिथिला तो बस कुछ उदाहरण मात्र हैं जहां शिखर सम्मेलन के कार्यक्रम रखे जा सकते हैं. इससे जहां केन्द्र सरकार की योजना के अनुसार उस स्थान की ऐतिहासिकता, उसकी सामाजिक, सांसकृतिक विरासत, वहां के विशिष्ट उत्पाद, कलाकृति, लोक संसकृति से भी विदेशी मेहमानों को परिचित कराया जाएगा, जो बिहार की विशिष्टता की वैश्विक साख स्थापित करेगा.

यह भी पढ़ें- आरसीपी सिंह के निशाने पर सीएम नीतीश कुमार, कहा-7 पार्टियां मिलकर भी चुनाव नहीं जीत सकी

ये ना सिर्फ सामाजिक तौर पर बिहार के लिए लाभदायक होगा बल्कि पर्यटन मानचित्र पर पड़ी धूल को हटाते हुए पर्यटन क्षेत्र में नई संभावनाओं को स्थान देगा, उत्पादों को बाजार देगा, और राज्य सरकार सजग और सक्रिय रही तो विदेशी मेहमानों के साथ कारोबार का भी अवसर प्रदान करेगा, जो उद्योग जगत को भी नई गति प्रदान कर सकती है. अब देखना ये है कि इतना बड़ा आयोजन राजनीति का शिकार ना हो. बात बिहार की हो रही है तो उम्मीद की जानी चाहिए कि सत्तापक्ष विपक्ष मिल कर शिखर सम्मेलन से जुड़े आयोजनों की बड़ी हिस्सेदारी बिहार को मिले, ये सुनिश्चित किया जाए.