बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर हर दिन राजनीतिक दल नए-नए समीकरण तलाश रहे हैं. जीतनराम मांझी महागठबंधन अलग होकर एनडीए में शामिल हो गए हैं. मांझी के एनडीए में शामिल होने से चिराग पासवान परेशान हो गए हैं. ऐसे में माना जा रहा है. चिराग पासवान अपने पिता राम विलास पासवान के रास्ते पर चल सकते हैं. चिराग पासवान की अध्यक्षता में सोमवार को एलजेपी की बिहार प्रदेश संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें पार्टी नेताओं ने कहा कि एलजेपी को जेडीयू के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारने चाहिए. गठबंधन और सीट के बंटवारे पर जो भी फैसला लेना होगा वह चिराग पासवान लेंगे.
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एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान जिस तरह से सीएम नीतीश कुमार लेकर सख्त रुख अपनाया हुआ हैं. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में नहीं लड़ना चाहते. वहीं, सियासी हलकों में यह बात चल रही है कि चिराग पासवान अपने पिता के 15 साल पुराने राजनीतिक फॉर्मूले के तौर पर अपने कदम बढ़ा सकते हैं.
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क्या है 15 साल पुराना सियासी फॉर्मूला
साल 2004 में यूपीए में आरजेडी और एलजीपी दोनों शामिल थे. फरवरी, 2005 में राम विलास पासवान ने कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए का हिस्सा होते हुए भी बिहार चुनाव में आरजेडी के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशियों के खिलाफ ऐसा नहीं किया. राम विलास पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशियों को समर्थन किया था. आरजेडी (RJD) के सियासी समीकरण को एलजेपी (LJP) ने बिगाड़ दिया था, जिसके चलते सरकार में नहीं आ सकी.
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फरवरी 2005 के चुनाव में आरजेडी (RJD) ने 210 सीटों पर चुनाव लड़कर 75 सीटें हासिल की थी और एलजेपी (LJP)178 सीटों पर लड़कर 29 सीटें जीती थी. वहीं, जेडीयू को 55 और बीजेपी को 37 सीटें मिली थी. बिहार में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल सका था. जिसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ गया था. इसके कुछ महीने बाद दोबारा चुनाव हुए तो नीतीश कुमार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल रहे थे.
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चिराग पासवान जेडीयू (JDU) अध्यक्ष नीतीश कुमार पर सख्त तेवर अपनाए हुए हैं, वहीं, बीजेपी (BJP) को लेकर चिराग का नरम दिखाई दे रहे हैं. दरअसल, एलजेपी के संसदीय दल की बैठक में भी इस बात को लेकर बातचीत हुई है. जेडीयू के खिलाफ उम्मीद्वार उतारना चाहिए. माना जा रहा है कि एक तरह से एलजेपी बिहार में जेडीयू के खिलाफ चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशी उतरने का दांव खेल सकती है, लेकिन बीजेपी की सीटों पर प्रत्याशी उतारने के बजाय समर्थन करने की रणनीति को अपना सकती है. चिराग पासवान अपने पिता के 15 साल पुराने फॉर्मूले पर चलकर एनडीए का हिस्सा रहते हुए. केंद्रीय मंत्री की सीट भी मचा लेंगे. एनडीए गठबंधन में बने भी रहेंगे.
Source : News Nation Bureau